(राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर विशेष) संविधान के प्रावधानों से इतर लोकमानस में चौथे स्तंभ के तौरपर स्थापित प्रेस आज भी अन्य स्तंभों से ज्यादा विश्वसनीय, सहज और सुलभ है। समस्याओं से घिरा आम आदमी सबसे पहले अखबार के दफ्तर में जाकर फरियाद करता है। थाने, दफ्तरों और भी सरकरी गैर […]

पितरपख लगा है कौव्वे कहीं हेरे नहीं मिल रहे। इन पंद्रह दिनों में कौव्वे हमारे पितरों के साँस्कृतिक दूत बनके आते थे। अपने हिस्से का भोग लगाते थे।  कौव्वे पितर बनके तर गए या फिर पितरों ने ही कौव्वों को आने से मना कर दिया। मैंने मित्र से पूछा–आखिर क्या […]

शरद जोशी ने कोई पैतीस साल पहले हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे व्यंग्य निबंध रचा था। तब यह व्यंग्य था, लोगों को गुदगुदाने वाला। भ्रष्टाचारियों के सीने में नश्तर की तरह चुभने वाला। अब यह व्यंग्य, व्यंग्य नहीं रहा। भ्रष्टाचार की प्राण-प्रतिष्ठा के साथ ही व्यंग्य की मौत हो गई। […]

पहले तीन सच्चे किस्से फिर आगे की बात एक- यह सचमुच हैरत में ड़ालने वाली बात थी। सत्ताधारी दल के राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त एक महाशय ने जो ग्लानिपूर्वक सुनाया उसे आप पढ़े- मेरा ड्राइवर अनुसूचित जातिवर्ग से था। कोई पाँच साल से घर की कार चलाने के साथ और भी […]

हिन्दी तुम किनके भरोसे हो..!  साँच कहै ता- जयराम शुक्ल  दिलचस्प संयोग है कि हिन्दी पक्ष हर साल पितरपक्ष के साथ या आगे पीछे आता है। परंपरानुसार हम लगेहाथ हिन्दी के पुरखों को याद करके उनकी भी श्राद्ध और तर्पण कर लेते हैं। हाल ही हम माँरीशस के विश्व हिन्दी […]

घर से निकलते ही काना दिख जाए तो उसे बड़ा अशुभ मानते थेे।लोग रास्ता बदल देते थे या यात्रा रद्द कर देते थे। उन दिनों गाँवों में ऐसे टोटकों का रिवाज था।(टीवी चैनल तो इसे और पुख्ता करने में जुटे हैं) पढे़ लिखे लोग भी झांसे में आ जाते थे। […]

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।