जीवन सरिता में, डोले मेरी नैया क्यूं ? तुमको है सुख का सागर, मुझे खुशियों से किनारा क्यूं ? घनी धूप से लड़कर, रज कण बहाता हूँ। तन चंदन घिसकर अपना, अस्तित्व तिलक लगता हूँ। देता सबको उजाला मैं, मेरे जीवन में अंधेरा क्यूं ? जीवन सरिता में, डोले मेरी……..? […]