प्राचीनकाल में जब किसी भी सार्वजनिक-धार्मिक स्थल में विभिन्न धर्म,सम्प्रदाय या क्षेत्र के लोग मिलते थे,तब संस्कृत या हिन्दी भाषा का ही प्रयोग करते थेl तब कोई मजबूरी नहीं होती थी किसी अन्य विदेशी भाषा को अर्जित करने की,पर आज बहुत से लोग इंग्लिश भाषा की पैरवी करते हुए उसे […]