आज स्वार्थवृत्ति इतनी अधिक बढ गई है कि अपने सामान्य स्वार्थ के लिए भी व्यक्ति अन्य जीवों के प्राण ले लेता है। सांप ने नहीं काटा हो तब भी ‘यह विषैला प्राणी है, कदाचित् काट लेगा’, इस भय से उसे मार दिया जाता है। आज स्वार्थी मनुष्य जितना हिंसक व […]

मन कभी चंचल कोमल मन कभी गहन चिंतन में लिप्त कभी अनंत गहराइओ में खोया कभी पक्षी समान भरे उड़ान मन की बाते आँखो की भाषा कुछ नयी अभिलाषा मन पल में अनंत गहराइयां छू जाये मन पल में विचलित पल में स्थिर हो जाये मन की बाते जानना बहुत […]

कुछ दिन की जिंदगानी, एक दिन सब को जाना / वर्षो की क्यों तू सोचे, पल का नहीं ठिकाना / कुछ दिन की जिंदगानी। ….. ..२ / मल मल के तूने अपने तन को जो है निखार / इत्रों की खुशबूओं से महके शरीर सारा …..२ / काया न साथ […]

  भारत की सांस्कृतिक और सामाजिक इकाई का वृहद ढांचा इस राष्ट्र के संस्कार और सचेतक समाज से हैं | विस्तृत धर्म ग्रन्थ और उपनिषद जो जीवन जीने की कलाओं के साथ संस्कारों के संरक्षण की गाथा कहते है। योग,जीवन जीने की इन्ही कलाओं में एक है। योग भारत में […]

  दिन ढलने को था, आसमान से श्वेत कबुतर अपने आशियानों की तरफ लौटने ही वाले थे, कहवा ठण्डा होने जा रहा था, पत्थरबाजों के हौसले परवान पर थे, अलगाववाद और चरमपंथ अपनी उधेड़बुन में बूमरो गुनगुना रहा था, चश्म-ए-शाही का मीठा पानी भी कुछ कम होकर एक शान्त स्वर […]

  शब्द साधन और संपन्नता के चरम पर भावनाओं के सहारे तथ्यों और जानकारियों को सहज रूप से प्रस्तुत करके गंभीरता को पाठक के मन तक मोड़ देने का नाम गद्य है | एक साधा हुआ काव्य भी गद्य कहलाता हैं | मानव के सामान्य जीवन में बोले जाने वाले […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।