जो ज़िन्दा था ज़माने में,उसी को मार आए हो, बहुत नादान लगते हो,सभी कुछ हार आए हो। ग़रीबों पर दया करते,बुज़ुर्गों की दवा करते, ख़ुदा को भूलकर मस्जिद में अब बेक़ार आए हो। ज़रा-सा शायरी करना सुख़नवर से नहीं सीखा, अभी से शोहरतें पाने भरे दरबार आए हो। जिसे यारों […]

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सोते रहे हमेशा है कमान जिनके हाथों हालात सरहदों के न हमें सोने देते, बांधा है बेड़ियों ने मजबूर हम पड़े हैं मिलती जो इजाजत साथी न खोने देते। आखिर क्यों खड़े हम यूं ही बंदिशों में मारने को उनको हो अधिकार में हमारे, उठते रहे जनाजे वीरों के टोलियों […]

सत्य का सम्बल तुम्हारे पास है, झूठ का आलम्ब लेना छोड़ दो। नित नए आयाम बस आपके होंगे, भय भी सामने तब कांपते होंगे। है प्रतिभा जो आपमें फिर झुकना क्या, तरक्की जिंदगी में तब झांकते होंगे॥ दुनिया में झूठों का भ्रम तोड़ दो, झूठ का आलम्ब लेना छोड़ दो। […]

गिरकर उठने में माना,थोड़ा वक्त लगता है, टूटे दिल को संभलने में,थोड़ा वक्त लगता है। शक न करना कभी,मेरे मजबूत इरादों पर, आँधियों में दीप जलाएं,थोड़ा वक्त लगता है। यह तो सच है फैली है देश में,आतंक की बेल, आतंकियों को मिटाने में,थोड़ा वक्त लगता है। बोए हैं बीज कुछ […]

भाषणों का जहर घुला था, मनभावन एक शहर जला था। हो रही थी अनर्गल बातें, जय जयकारों का शोर मचा था। फिर शब्दों के बाण छूटे, और द्वैष की एक लहर उठी। जैसे शांत खड़ी उस भीड़ की, संयम की मर्यादा टूटी। कल तक जो भाई थे, उन पे भाई […]

डर अंधेरों का कुछ भी सताता नहीं, साथ मुझको उजालों का भाता नहीं। अक्स जबसे मिरा आइना हो गया, ये जमाने से कुछ भी छिपाता नहीं। मुझको जिसका तसव्वुर रहे रात दिन, रूबरू इक घड़ी को भी आता नहीं। दिल मे खंज़र  चुभा है मगर दोस्तों, ज़ख्मे-दिल मैं किसी को […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।