बैचेन निगाहें तुम्हें ढूंढ रही है, कब आओगे कान्हा ! ये पूछ रही है चढ़ ऊँची अटारी, राह निहारी तुम्हारी आ गया बसंत.. अब बारी है तुम्हारी, मिन्नतें कर-कर मैं तो हारी तुमसे, शरण ले लो अपनी बांके बिहारी मैं तो जनम-जनम की प्यासी दासी तुम्हारी, आ गया बसंत भी […]

कभी अपने से कभी, गैरों से छले गए रिश्ते।             मतलब की कढ़ाही में             तले गए रिश्ते॥ रोते रहे सिसक-सिसक, कर बेचारे अकेले में।             आंसूओं को पीते रहे,           […]

चिंतनो में..स्वार्थ की अब..चढ़ गई हैं अर्गलाएं। और..भावों के..भवन में,वंदिता हैं मेनकाएं॥ हो गई..हमसे विसर्जित,भरत की संतृप्ता। भ्रमित कैकेयी-सी..मन की,रह गई अतृप्ता॥ क्यों न हो..जब..हर महल में,पल रही हैं मंथराएं। आैर..भावों के..भवन में,वंदिता हैं  मेनकाएं॥ भेदने आतुर हुई फिर,वर्जनाएं-वाचिका को। स्वर्ण मृग फिर छल रहा है,सीय की मरीचिका को॥ पंचवटियों […]

बदला मौसम धूप है भायी वर्षा गई ऋतु जाड़े की आई। सुबह को घना कोहरा छाता, ठण्ड का मौसम दांत बजवाता। मफलर-स्वेटर की हो बात, दिन छोटे से बड़ी है रात। मच्छर-मक्खी छुप गए बिल में, भा गई रजाई सबके दिल में। घूप सुहानी अब लगती है, चाट-पकौड़ों की मस्ती […]

ठिठुरन-सी लगे सुबह के हल्के रंग-रंग में। जकड़न भी जैसे लगे देह के अंग-अंग में॥ उड़ती-सी लगे धड़कन आज तो आकाश में। डोर भी है हाथ में,हवा भी है आज साथ में॥ पर कागजी तितली लगी सहमी-सी,l उड़ने की शुरुआत में॥ फैलाए नाजुक पंख,थामा डोर का छोर। हाथ का हुआ […]

बहुत अनुग्रह कीन्हों मोपर, हे परमात्मा! हे परमेश्वर! बहुत अनुग्रह कीन्हों मोपर। तुम करुणा के सागर हो प्रभु, तुझको अर्पण मैं क्या कर दूँ जीवन पुष्प को तुमने खिलाया, उसी को चरणों में तेरे धर दूँ तुम करुणा के सागर हो प्रभु, तुझको अर्पण मैं क्या कर दूँ। सबके दाता,सबके […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।