उम्र कुछ खिंची खिंची सी लगती है बनावटी हाव भाव चेहरे पर पुती वरिष्ठता की परिभाषा ड्रेस कोड की खड़ी पंक्तियाँ मोटे लेंसों के परिधि पर खड़ा खड़ा देखता हूँ मैं सबकुछ पीछे जाते हुए सिमटे हुए बचपन को कैशोर्य का विद्रोह को और समाज के नजरो से दबे वर्तमान […]

नगमा- ए ज़िन्दगी गुम चुके थे जिन्हे लब, आज फ़िर गुनगुनाने का जी चाहता है.. खोल  दूं आसमां  से  झरोखा  जुड़ा, और, पसर पर परिंदे का जी चाहता है.. ज़ुल्फ मेरी   उड़ा  ना ऐ पागल हवा, संग तेरे बहक जाने का जी चाहता है.. जानती   हूं   मनाने न  आएगा   वो, […]

जो शेष बच गया शून्य नहीं था ,प्यार था.. जीवन शान्त कोलाहल का एक ज्वार था दुख की सीमा सन्तापों में सुख के अप्रतिम प्रलापो में शब्दो से विचलित भावो में सकुचे सिमटे से बाहो में सुख का झीना संसार था जो शेष बचा गया शून्य नहीं था, प्यार था.. […]

(भूख से मरी वो दोनों बच्चियां मुझे सोने नहीं दे रहीं रोज रात को आकर वो मुझसे खाना मांगती हैं रोटी दिखाते ही वो हँसकर लौट जाती हैं । अगर आदमी जैसा कुछ भी है शरीर में तो सोंचिये विचारिये मनन करिए और उनके जान जाने के दर्द को महसूस […]

स्कूल जा रहे एक बच्चे का बस्ता मासूम सा बचपन और इतना सस्ता बच्चा टेंसन में है फिर भी जा रहा है उसे शिक्षक में गुरु नहीं यमराज नजर आ रहा है … और गुरु भी बिल्कुल गुरु है कुछ पूछने से पहले ही ठुकाई शुरू है उसे बच्चों को […]

समय चक्र को हाथो के वक्र को बदलते देखा है दिल के ग़मो को आखो के सिकन को बदलते देखा है ये क्या हुआ कि भृकुटी तन गयी मन सरोवर मे एक अग्नि रेखा बन गयी चंचल चपल चतुर वाक्य,कुछ ऐसा ही कर गयी अब घात क्या प्रतिघात क्या,आत्मसात दिल […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।