ज़िन्दगी में कहाँँ किनारे हैं।हम सरीख़े भी बेसहारे हैं। मिले मुक़म्मल जहाँ तलाश ये, है आरज़ू कि फिरते मारे हैं। * न आब है तलाश दाने की,ये आदमी तो बेसहारा है। ज़ख्म सिले न ख़रोंच देता जो, कहें भी कैसे वो हमारा है। ज़ुनून ले कर चला है,नज़र फ़लक पे,तोड़ना […]

गम के ये पहाड़ से दिन ऐ जिंदगी तू कब तक दिखायेगी मैं रंगूगा नहीं तेरे रंग में मैं जिऊंगा उसी ढंग में जैसा बनाया परमेश्वर ने मुझे… मैं एक समस्या सुलझाता हूँ तू सैकड़ों लाकर खड़ी कर देती है मेरे सामने पर तू इतनी सी बात मेरी सुनले मैं […]

दुःख में भाग्य दुर्भाग्य हो जाता है सुख में भाग्य सौभाग्य बन जाता है तमस के बाद सूरज निकलता है कर्म और नियत ठीक हो तो हारा हुआ भी स्वतः जीत जाता है नियत भाग्य भी सद्कर्म से खुद ही बदल जाता है यानि जैसा चाहे वैसा भाग्य बन जाता […]

राजनैतिक मापदण्डों का सीधा प्रभाव सामाजिक व्यवस्था पर पडता है। नेतृत्व करने वालों की सोच के अनुरूप ही प्रबंधन शुरू हो जाता है। सत्ताधारी व्यक्ति या दल के सिध्दान्तों ही सर्वोपरि होते हैं। तंत्र का रुख अपने आप मुखिया के इशारे पर मुड जाता है। अतीत में सिध्दान्तों को स्वीकारने […]

राजनीति करने वाली ताकतें सच में बेहद ताकतवर होती हैं । हम सोच भी नहीं सकते उससे भी ज्यादा ताकतवर होती हैं। सिर्फ ताकतवर ही नहीं होती है, देश को जोड़ने, तोड़ने के साथ सरकारों को बनाने, बिगाड़ने और दिग्भ्रमित करने का इनमें अप्रतिम कौशल होता है। सरकार बनाना कोई […]

नदिया न पिये, कभी अपना जल। वृक्ष न खाए, कभी अपना फल। सभी को देते रहते, सदा ही वो फल और जल। नदिया न पिये कभी…।। न वो देखे जात पात, और न देखे छोटा बड़ा। न करते वो भेद भाव, और न देखे अमीरी गरीबी। सदा ही रखते समान […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।