कोयला कितना भी उजला दिखा ले, पर मन का काला तो काला ही दिखेगा, मकड़े का तो काम ही है बुनना जाला, वो तो हमेशा नफरत का जाला ही बुनेगा, गिरगिट से ना उम्मीद करना शराफत की, बात बात में ये नित नए रूप दिखलायेगा। दोमुहे साँपो का कभी भी […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा