दीये की जोत जो हो तुम सनेह का धृत मेरा है. सुवासित हवन-धूप-सा मेरे रोम में बसे हो तुम. जीवन यह ढोल है मेरा तेरे थापों बिना सूना. जो तुम्हारी धूप पड़ती है तभी होता मेरा वादन. मेरी पूजा, मेरा अर्चन मेरा वंदन, मेरा गायन भजन की लय तुमसे है […]
काव्यभाषा
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