जिस आंगन में ना खेली लाडो, ना गूंजी इसकी किलकारी, वो क्या जाने..? कैसी होती है ये बेटियां…. :- माँ-बाप की जरा सी आह पर, खुलकर रोती है ये बेटियां, ऐसी होती है ये बेटियां…… :- माँ-बाप की गोद मे सर रखकर, सुकून से सोती हैं ये बेटियां, ऐसी होती […]

        “ये दुनिया देखेगी’ द्वार से निकली दर्द-ए-कराह तो, ये दुनिया ही तुझे हँसकर देखेगी… मत बन तू गुमनाम इस जहां में, ये दुनिया ही तुझे डसकर देखेगी… बनाती रही खुद का तमाशा तू, तमाशबीन ये तुझे बनकर देखेगी.. झुकी रही अगर कदम-ब-कदम तू, ये पूरी दुनिया […]

इस बात को हम मानले, कि बेटा बेटी एक समान। बेटियां हैं हमारा मान तो, ये बेटे भी है हमारी शान।। दोनों ही है ये बहुत जरूरी, ना कर इनमें भेदभाव। बहुत खलेगा ये अगर रह गया एक का भी अभाव।। समान शिक्षा दे दोनों को, दोनों समान ही पढ़ते […]

रिश्तो से चलती ये जिंदगी और बिगड़ती रिश्तो से। देखे रिश्ते खून के और कुछ देखे रिश्ते प्यार के।। कुछ शब्दों के कहकहों से कुछ देखे मौन रहे से। कुछ देखे इकरार के और कुछ देखे इजहार के।। कुछ रिश्ते ठूठ खड़े थे और कुछ खिलते गुलाब से। सूखे पेड़ […]

    दशहरे के अवसर पर देखो, बिखरी पड़ी हैं लाशें। अमृतसर में कहर है टूटा, टूट गयी सैकड़ो सांसे।। कैसे नंगे नाच खेले मौत ने, इतने लोग हैं मार गिराए। रावण, मेघनाथ, कुम्भकर्ण को, जलाने थे जो आये।। दो ट्रेनें गुजरी वहां से, एकदम पटरी लहूलुहान हुई। गिनती भी […]

तू मत भूल कि प्यार को मैं प्यार से झुकाना जानती हूं। कांटो पर चलते हुए भी मैं अदब से मुस्कुराना जानती हूं। मेरी गरीबी देखकर मत ठुकरा तू इस तरह मेरे प्यार को, तेरे प्यार के लिए जालिम मैं सब कुछ लुटाना जानती हूं। अगर बना सकती हूं मैं […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।