दिल तुझ पे हम अपना हार बैठे। सागर में कसती….. उतार बैठे। हसरतों को दी जब उड़ान हम ने। सारी हदें हम अपनी  भुला बैठे। मिलता है प्यार नसीबों से अपने। हम नसीब अपना आजमा बैठे। फितरत में नही है वेवफाई हमारे। हम अपना दिल ओ जान लूटा बैठे।। सुना […]

भाद्र मास शुक्ल पक्ष अष्टमी को , प्रकट भयी राधे रानी  सुकमार। दैव लोक से आ रहे, सभी दैवता दर्शन को आज। धन्य धन्य हो रही ब्रज भूमि, जहाँ रावल में जन्म लियो। जिस जिस ने दर्शन किये, हुए पूर्ण सब काज। धन्य धन्य माँ  कीर्ति , धन्य धन्य विर्षभानु […]

सुनो एक पगली सी लड़की तुम्हे बहुत चाहती है तुम सिर्फ उस के हो ये सोच के इतराती है बेइंतहा कोई किसी को चाहे ये मुमकिन तो नही बस खूबसूरत से ख्यालों में डूब जाती है दर्द की हर एक दास्तां वो तुम्हारे साथ हो कर भूल जाती है यूँ […]

सच सोचनीय विषय है,जब हिंदुस्तान में हिंदी का सम्मान नही तो और कही कैसे होगा? सर्वप्रथम हम सब को अपनी मातृ भाषा से प्रेम करना होगा। हर कोई अंग्रेजी स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाना चाहता है, जब शिक्षा ही योग्य नही मिलेंगी, तो संस्कार और हिंदी का प्रचार और […]

काश की इन मुर्दा लाशो में से किसी को जगा पाते। देश मेरा बदनाम नहीं होता,नेता अगर हिंदुत्व ला पाते। नही बट पाता टुकडों में जाति पात के नाम पर। अगर मेरे भाई सच्चा भाईचारा निभा पाते। हो रही चारो ओर रुसवाई है, ये खबर किसने फैलायी है। मरे नही  […]

कलम तो एक जरिया है, दिल के दर्द जताने का। असल मे हर्फों में बयां हो जाये वो हम नही है। जन्मो लगेंगे तुम्हे हमे समझने में। बहुत आसानी से कह देते हैं लोग, भूल जाओ पुरानी बातों को। क्या रखा है बीती बातों में। नही समझते कि वो हर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।