सुबह के आठ बजने को थे। रमा अपने दोनों बच्चों का टिफिन बनाकर उन्हें स्कूल बस में बैठाकर लौटी ही थी कि तभी फ़ोन घनघना उठा। बुरा सा मुँह बनाकर उसने फोन उठाया । वह समझ गई थी कि मायके से उसकी मां का फोन ही होगा। मौके – बे […]

अजीब सी बेचैनी बढ़ती चली जा रही थी , कई बार उठकर कई गिलास पानी पीने के बाद भी आग्रह को शांति नहीं मिल रही थी , एक तो गर्मी ऊपर से मेवा का अपने मायके चला जाना ! जब तक कोई जिंदगी में ना आये तब तक हर छोटी […]

सत्तर की उम्र पार कर रहे रमेश और उनकी पत्नि राधा अपनी बहू रमा की तारीफ करते नही अघाते । जब भी कभी उनसे मिलने कोई रिश्तेदार या पड़ोसी आये – रमा की तारीफों का टेप चालू हो जाता । आगंतुक भी रस ले लेकर रमा की बडाई करते। साथ […]

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          बहुत दिनो बाद  रामु  शहर से  गाँव वापस आ  रहा था l तीन-चार  दिन  के  य़ात्रा के बाद गाँव पहुंचा।  गाँव में  सब  कुछ बदला-बदला सा नज़र  आ रहा था ,बस अड्डा, मकान सब कुछ पक्के बन गये थे। मानो सब कुछ पराया सा लग […]

रमा के मौन व्रत का आज सातवां दिन था। उसने परिवार में सबसे बोलना बंद कर दिया था। दिन भर सबके काम करना और फिर चुपचाप अपने कमरे में चले जाना ही अब उसकी दिनचर्या  थी । बीमार सास की सेवा करना उसका ध्येय था किंतु जेठानी की अनावश्यक दखलंदाजी […]

कॉलेज में कदम रखते ही बिटिया,लगी कि बड़ी हो गई। इस जमाने में वैसे भी बच्ची जल्दी ही समझदार हो जाती है। एक समय था जब संस्कार,शिक्षा,नैतिकता,रिश्तेदारी का सबक परिवार में रोजमर्रा,सहज ही मिल जाता था। अब सबकी कक्षाएं लगती हैl डिप्लोमा-डिग्री से नवाजते हैं। शर्मा जी की बिटिया,अब आधुनिक […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।