मेरा कर्मा तू, मेरा धर्मा तू, मेरा जैनधर्म,सब कुछ है तू। हर कर्म अपना करेंगे, जैन धर्म के अनुसार। जैनकुल में जन्म लिया है, जैनी होने का अभिमान। हम जीयेंगे हम मरेंगे, जैन धर्म के अनुसार। जैनकुल में जन्म लिया है, जैनी होने का अभिमान।। तू में कर्मा, तू मेरा […]

तेरी बेरुखी से क्या हो गया। लिखने बैठे प्रेमगीत…2 लिख जाता लोकगीत।। तेरी बेरुखी से…….। समझ नही अब आ रहा मुझको, हो रहा ऐसा क्यों करें क्या हम अब। तुम ही बतला दो…2 मेरी जानेमन। बचा दो मुझे तुम मोहब्बत के चक्कर से।। तेरी बेरुखी से…….।। छोड़ दो मुझे तुम, […]

दिल लगता नही, अब तेरे बिना। कैसे धड़क रहा है, अब तेरे बिना। मुझको पता नहीं हैं, ये क्यो धड़क रहा। तुम मेरे दिल में, क्यों बस गए हो? अब तुम ही तुम, साथ रहते हो। कसम से तुम्हारी, मुझे कुछ नहीं पता। क्या कर दिया तुमने, मेरी दिल रुबा। […]

कर्मो की गठरी बांध के सिर पर, भटक रहे है भवसागर में। आत्मकल्याण के बारे में, कुछ नही हम कर रहे हैं।। करते रहे फरेब जीवन भर, लूटते रहे तुम लोगो को। क्या तुमने खोया है लोगो, क्या तुमने यहाँ पाया है। खुद का आकंलन खुद तुम करो। सत्य तुम […]

जाने क्या बात थी उस मुलाकात में। चाँद झर झर बहा चाँदनी रात में । हम हो गए दीवाने तेरे पहली मुलाकात में। चमकता चाँद जैसा चेहरा निकला है चांदनी रात में। कैसे बुलाऊ तुम्हे अपने पास में। क्योंकि कितने देख रहे है तुम्हे इस चाँदनी रात में।। चाँद झर […]

मिली है मुझको, अभी हाल में खुशी। कैसे में बताऊँ, अपने मित्रों को। मुझे क्या मिल गया हैं, अपने जिंदगी में। मेरा विछाड़ा हुआ मित्र, आज मिल गया मुझको।। देखा करते थे सपने, हम दोनों मिलकर। छुएंगे आसमान को, हम दोनों मिलकर। पर सपना तब टूट गया, जब हम दोनों […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।