तरोताज़ा सुघड़ साजा,सफ़र नित ज़िन्दगी होगा; जगत ना कभी गत होगा,बदलता रूप बस होगा। जीव नव जन्म नित लेंगे,सीखते चल रहे होंगे; समझ कुछ जग चले होंगे,समझ कुछ जग गए होंगे। चन्द्र तारे ज्योति धारे,धरा से लख रहे होंगे; अचेतन चेतना भर के,निहारे सृष्टि गण होंगे। रचयिता जान कुछ लेंगे,बिना […]

कुछ भ्रान्तियाँ औ क्रान्तियाँ,ले जा रहीं भव दरमियाँ; भ्रम की मिटाती खाइयाँ,श्रम कर दिखातीं कान्तियाँ। हर किरण ज्योतित भुवन कर,है हटाती परछाइयाँ; तम की तहों को तर्ज़ दे,तृण को दिए ऊँचाइयाँ। छिप कर अणु ऊर्जित रहा,पहचाना ना हर से गया; हर वनस्पति औषधि रही,जानी कहाँ पर वह गई ! हर […]

दर्द से ऊपर निकलना चाहिए ; छिपा जो आनन्द लखना चाहिए। झाँकना सृष्टि में सूक्ष्म चाहिए; चितेरे बन चित्त से तक जाइए। सोचना क्यों हमको इतना चाहिए; हो रहा जो उसको उनका जानिए। समर्पण कर बस उसे चख जाइए; प्रकाशों की झलक फिर पा जाइए। मिला मन को इष्ट के […]

है नाट्यशाला विश्व यह,अभिनय अनेकों चल रहे; हैं जीव कितने पल रहे,औ मंच कितने सज रहे। रंग रूप मन कितने विलग,नाटक जुटे खट-पट किए; पट बदलते नट नाचते,रुख़ नियन्ता लख बदलते। उर भाँपते सुर काँपते,संसार सागर सरकते; निशि दिवस कर्मों में रसे,रचना के रस में हैं लसे। दिगदर्श जो नायक […]

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कब जोड़ना कब छोड़ना, है जानता मन-मोहना; रेशम-सी डोरी खींचता, रहता है वह भी उन्मना। पाता कहाँ वह रख गोद ही, पड़ता सिखाना चलन भी; मन जीव के है बोध भी, चलना चहे वह स्वयं भी। गिरता व पड़ता जब चले, विश्वास निज पैरन करे; निगरानी नज़रों में रहे, है […]

चलि दिए विराट विश्व,लै कें फुरकैंया; ध्यान रह्यौ निज सृष्टा, नैनन लखि पैयाँ। पैंजनियाँ बजति रहीं, देखत है मात रही; प्रकृति ललचात रही, झाँकन रुचि आत रही। सँभलावत गात चलत, मोहन मन कछु सोचत; अँखियन ते जग निरखत, पगडंडिन वे धावत। पीले से वस्त्र पहन,गावत तुतलात रहत; दौड़त कबहू ठहरत, […]

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।