चंद्र इंद्र नभ देव, सदा शुभ पूज्य हमारे। हम पर रहो प्रसन्न, रखो आशीष तुम्हारे। लेकिन मन के भाव, लेखनी सच्चे लिखती। देव दनुज नर सत्य, कमी बेशी जो दिखती। . ✨✨✨ क्षमा सहित द्वय देव, पुरानी बात सुनाऊँ। लिखता रोला छंद, भाव कुछ नये बताऊँ। शर्मा बाबू लाल, सुनी […]

प्रभो संसार की बाधा, भले मुझको सभी देना। रखो ऐसी कृपा ईश्वर, मुझे अपनी शरण लेना। . ✨✨✨ सुखों की होड़ में दौड़ूँ, नहीं मन्शा रखी मैने। उड़े आकाश में ऐसे, नहीं चाहे कभी डैने। . ✨✨✨ नहीं है मोक्ष का दावा, विदाई स्वर्ग तैयारी। महामानव नहीं बनना, कन्हैया लाल […]

. (ढूँढाड़ी दोहा छंद) . ✨✨✨✨✨ पीव कनागत भी गया, दौरा लागै काग। यादाँ थारी आवती, हिवड़ै सुल़गै आग।। . ✨✨✨✨✨✨ थाँकी सौगन सायबा,याद करूँ वै बात। तारा गिणती काटती, विरहा सारी रात।। . ✨✨✨✨✨ दिन भर काग उडावताँ,सगुन मनाऊँ कंत। चढूँ डागलै देख री, आताँ जाता पंत।। . ✨✨✨✨✨ […]

पाँलीथिन यहाँ होता, बया के घोंसले बसते। गई चीलें कहाँ बोलो, यहाँ थे गिद्ध जो रहते। मिटाता वंश पालीथिन, गये पशु जान से मारे। धरा ज्यों ढँक रही मानो, करो भी मुक्त अब कहते। . 🌍🌍🌍 कहे सरकार अब ऐसे, बचाओ आज धरती को। दिखे अब से न पाँलीथिन, बनालो […]

बाल पणै शादी करी, भटक गया मन मीत पढ़बो लिखबो छूटगो, आय लपेटै रीत।। बेगा होगा टाबराँ, सेहत गई पताल़। आय जवानी पैल हीं, हुयो जीव जंजाल़।। मात पिता न्यारा करै, खाओ कव्है कमाय। भूत भविश की सोचताँ, बर्तमान भी जाय।। दौरो होगो जीवणो, भूल गया सब गीत। बाल पणै […]

. (१६ मात्रिक गीत) . 🤷‍♀🤷‍♀ बहुत जलाए पुतले मिलकर, अब तो मन का रावण मारे। जन्म लिये तब लगे राम से, खेले कृष्ण कन्हैया लगते। जल्दी ही वे लाड़ गये सब, विद्यालय में पढ़ने भगते। मिल के पढ़ते पाठ विहँसते, खेले भी हम साँझ सकारे। मन का मैं अब […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।