सभी को अमीर होने का एक जुनून चढ़ा है सभी को कुर्सी पर ताबीज होना है और फिर बंदरबांट का खेल खेलना है।यह आज की राजनीति और उनके चरित्र हैं। ताजा उदाहरण हम सबने लोजपा का देखा।जहां नैतिकता और शिष्टाचार का पतन चरम सीमा पर था।यह कैसी ओछी परिदृश्य भारतीय […]

कोरोना काल में जहां आम आवाम की मानवीय संवेदनायें चरम सीमा पर रहीं, वहीं अधिकांश स्थानों पर प्रशासनिक क्रियाकलापों पर प्रश्नचिंह अंकित होते रहे। सूचना के अधिकार से बाहर होने की बात कहकर जबाबदेही पर मुकरना, उत्तरदायी अधिकारिकों के लिए आम बात हो गई है। सरकारों ने जो सुविधायें और […]

वृद्धावस्था जीवन चक्र का सबसे चुनौतीपूर्ण व संवेदनशील समयावधि है जिसमें व्यक्ति की क्षमताओं के क्षीण होने से उसे अनेक शारीरिक, मानसिक, सांवेगिक, आर्थिक, सामाजिक व पारिवारिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। भारत में बुजुर्गों की प्रतिष्ठा प्राचीन काल में बहुत अधिक थी। वृद्धजनों को भगवान समान माना जाता […]

30 मई पत्रकारिता दिवस व्यवसायिकता के इस दौर में जीवन मूल्यों का जितना ह्रास हुआ है उतना शायद किसी अन्य क्षेत्र में नही हुआ।निष्पक्ष, निर्भीकता और पूर्वा ग्रहों से ग्रसित न होने का दावा करने वाले बड़े बड़े मीडिया संस्थान भी आज सत्ताधिशो की गोद मे बैठकर पत्रकारिता के सिद्धांतों […]

सन 2005 की वो हसी शाम थी।जिस दिन हमारी शादी कुर्सी से हुई आज सोलह वर्ष हो गये लेकिन विकास पुत्र का जन्म नही हुआ ।महिला, माता, बूढे, बुजुर्ग, की दर्द भरी कहानी जो विकास के खोखले दावो की पोल खोलता गंगा तट पर दफन हो गया । क्या कुर्सी […]

करोना के लाकडाउन ने जिंदगी को नया अनुभव दिया है, अच्छा भी बुरा भी। जो जहां जिस वृत्ति या कार्यक्षेत्र में है उसे कई सबक मिल रहे और काफी कुछ सीखने को भी। ये जो सबक और सीख है यही उत्तर करोना काल की धुरी बनेगी। ‘बाइ सेपियन्स- ए ब्रीफ़ […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।