जब मृत्यु ही एक कटु सत्य है, फिर जीने की क्यूँ करते अभिलाषा। आज देखा ख्वाबों पे मंडराते, क्या होती है इसकी परिभाषा। जब-तक चलती है साँस मेरी, चल कर कुछ जीवन से आशा, उठो कर्तव्य कुछ कर दो सुसज्जित, अंत बाद तेरा भी लगे कोई है प्यासा। चलते-चलते विराम-चिन्ह […]

हलकू हर किसी काम को दरकिनार करता रहता था।वह केवल अपने अधिकार के बारे जानता था। कर्त्तव्य की बात आते ही वह पूरा वकील बन जाता था।                एक बार गाँव में आधार कार्ड बनाने वाले आ गए।आधार कार्ड निःशुल्क बनाए जा रहे थे। […]

माँ  तू नहीं होगी तो मेरा  न जाने क्या होगा, मेरे सफर की मंजिल तो होगी पर रास्ते का क्या होगा. आजमाएगी फिर  दुनिया हम दोनों के प्यार को, हमारी झूठी तकरार को, तब भावना के मेरे संसार का क्या होगा. चांद भी होगा  और  आसमा में ये सितारे भी रहेंगे सपनो में होगा  मिलना हमारा […]

दिन आये मेरे यार चुनावों के| चर्चे होंगे दिन रात हिसाबों के|| कोई कर्जा माफ़ करेगा, कोई गलियां साफ करेगा| वोटों के बदले में कोई, तेरी जेबें खूब भरेगा|| कोई मारे रोज बांग दुआरे पे| दिन आये मेरे यार चुनावों के|| दिन आये मेरे यार चुनावों के| चर्चे होंगे दिन […]

वक़्त बिताया करो सपनों के आस-पास सपनें सजाओ खुली आँखों के आस-पास तुम्हें ज़िंदगी का मक़सद समझना पड़ेगा ज़माने में जो आए हो अदब के आस-पास चलकर देख कौन पथ से विचलित होता है चिड़िया भी जीती है उड़ान के आस-पास समझ न पाते हम अपना निशाना कहां पर है ज़िंदगी रह जाती है चूक के आस-पास जिस मासूमियत ने मुझे बादल बना दिया ज़ुल्फ़ें लहराते नहीं घटाओं के आस-पास क्या होगा सजदे में ख़ुद को गुज़ार देने से हमने रहा नहीं कभी आँसुओं के आस-पास जीते तो बहुत से जीव हैं मेरे ज़माने में तुम ही सिर्फ़ जा सकते खुदा के आस-पास मत चाहो हरियाली कहीं बोने के बग़ैर भी ख़ून-पसीना बहाना होता है खेतों के आस-पास इतना तो समझ ले ज़िंदगी सँवर जाएगी बच्चे बिखर सकते नहीं बुजुर्गों के आस-पास बड़ी मशक़्क़त से मिलती है मंज़िल ‘राजीव’ बैठे मत रहना हाथ की लकीर के आस-पास #राजीव कुमार दास हज़ारीबाग़ झारखंड Post Views: 16

जब खेतों में नंगी काया पल पल तपती रहती है| आँगन में बैठे ख्वाबों के पंख उतिनती रहती है|| बेवश आँखों में बस केवल नीर समाया रहता है| तब कवि ह्रदय हुकूमत के प्रति आग उगलने लगता है|| नहीं प्रेम के मधुर मधुर मैं गीत सुनाने आया हूँ| वाणी की […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।