हमारा दिसम्बर,तुम्हारा दिसम्बर, गुजर गया अब ये प्यारा दिसम्बर। भूल करके भी हमसे खता हुई हो, भूल जाना तुम हमारा सारा दिसम्बर। आकर तो देखो क्या हाल है मेरा, कैसे गुजारा तुम बिन सारा दिसम्बर। करते हैं फिर से शुरुआत नई हम, इसलिए अलविदा हमने कहा दिसम्बर। जब कभी हमें […]

वफ़ा प्यार सादगी का ताज हैं बेटे, जो सुनते है सबकी वो इंसान है बेटे। रखा है मर्यादा को बरकरार आज तक, राम श्रवण विवेकानंद जैसे महान है बेटे। लगते आए हैं इन पर आरोप हमेशा, कुछ लोगों के लिए अभी अंजान है बेटे। किया कई ने नाम रोशन मां-बाप […]

जी करता है बच्चा बन जाऊं, फिर से मैं ख्यालों में खो जाऊंl  ना हो फिर कोई परवाह मुझे, कुछ ऐसा फिर जीवन पा जाऊंl  सुबह होते ही सबसे पहले, टॉफी पाने की जिद में अड़ जाऊंl  जाना न पड़े कभी स्कूल मुझे, अपने लिए रोज बहाना बन जाऊंl  कर […]

मन्दिरों में अब रोज जाने लगे हैं, भगवान में विश्वास जताने लगे हैंl  मिल जाओ अगर तुम मस्जिद में, इसलिए अजान सीखकर आने लगे हैंl  सुना है गुरुद्वारे में मत्था टेकती हो तुम, इसलिए गुरूग्रंथ साहिब उठाने लगे हैंl  करती हो प्रार्थना तुम चर्च में रविवार को, इसीलिए हम भी […]

फूलों ने खुलकर खिलना छोड़ दिया, हमने भी कई दिनों से हँसना छोड़ दियाl  हैं तो कई सारे मित्र दुनिया में हमारे, पर हमने भी सबसे मिलना छोड़ दियाl  कहाँ तक याद करते रहें हम ही सबको, हमने भी अब यादों में जीना छोड़ दियाl  मतलब निकाला है सबने हमसे […]

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दो नैन जब चार हो जाते हैं, ख्वाबों में अक्सर वो अाते हैंl कुछ भी याद नहीं रहता तब, जब दिल आपस में मिल जाते हैंll  सुबह से जगकर शाम तक वो, एक भी न काम कभी कर पाते हैंl चुपचाप सुनते हैं बातें वो सबकी, न ही किसी को […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।