सोच-समझकर शादी करना, बदले राज्य बिहार में। वर्ना एक दिन जाना होगा, सीधे जेल तिहार में। बाल विवाह हो गया बन्द है, बुरी नज़र को बदलें। भूल से इनसे करें न शादी, अखबारों में पढ़ लें। अब न बाराती जा पाएंगे, ठाठ से मँहगी कार में। वर्ना एक दिन जाना […]

एक समय था गुरूजी जग में, आदर ही पाते थे। चरणों में जिनके दुनिया थी, वो पूजे जाते थे। भय था बच्चों को गुरूजी से, जाने कौन सजा दे। अब किनकी हिम्मत है इतनी, थप्पड़ एक लगा दे। भरी सभा में अब गुरूजी को, ऐसे तौल रहे हैं। ला दूँगा […]

मित्र वही जो देख कभी भी,          आँखें नहीं चुराता है। मित्र वही जो कथनी-करनी,          एक रंग दिखलाता है॥ मित्र वही जो पड़े मुसीबत,         आगे हाथ बढ़ाता है। मित्र वही जो स्नेह का बंधन,         सबसे […]

अजब-सी है ये जिन्दगी, कभी खुशियों का त्योहार है जिन्दगी। तो कभी दुखों की हार है जिन्दगी। कभी प्यारा-सा अरमान है जिन्दगी, तो कभी पीड़ा से भरा तूफान है जिन्दगी। कभी सफलताओं का उपहार है जिन्दगी, तो कभी असफलताओं का प्रहार है जिन्दगी। कभी अमावस की रात है जिन्दगी, तो […]

माँ के आँचल में, सारी दुनिया समाई है। चाहे कितना भी कमा लें, इससे बढ़ के न कोई कमाई है॥ जाने कितने दुखों को सहकर, खुद भूखा और तेरा पेट भरकर। सारी खुशियों से झोली तेरी भरी, तो आज कमाने लायक हालत आई है॥ जब भी तुझको बुखार आया, पूरी […]

एक कौआ जो अति उदास था, खुद को कोसा करता था। मैं कुरूप आवाज कर्कशा, सबसे वो लड़ता था। एक दिन वह बोला कोयल से, सभी चाहते तुमको। रूप नहीं पर स्वर है अच्छा, सभी भगाते मुझको। बोली कोयल मुझसे खुश तो, तोता ही को जानो। रूप रंग स्वर से […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।