जिन्दगी

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binod yadav
अजब-सी है
ये जिन्दगी,
कभी खुशियों का
त्योहार है जिन्दगी।
तो कभी दुखों की
हार है जिन्दगी।
कभी प्यारा-सा
अरमान है जिन्दगी,
तो कभी पीड़ा से भरा
तूफान है जिन्दगी।
कभी सफलताओं का
उपहार है जिन्दगी,
तो कभी असफलताओं का
प्रहार है जिन्दगी।
कभी अमावस की
रात है जिन्दगी,
तो कभी रहस्यमयी
बात है जिन्दगी।
कभी तूफानी लहरों से
गुजरती नाव है जिन्दगी,
तो कभी अपनों से मिला
गहरा घाव है जिन्दगी।
फिर भी एक मीठा-सा
एहसास है जिन्दगी॥
#बिनोद यादव 
परिचय : बिनोद यादव की जन्मतिथि- १७ नवम्बर १९९० तथा जन्म स्थान-चांपदानी, हुगली(पश्चिम बंगाल) है। आपने हिन्दी में स्नातक(पूरी नहीं) बेलुर(हावड़ा) करने के बाद कार्यक्षेत्र के रुप में भारतीय सेना (सैनिक) कॊ अपनाया है। वर्तमान में आप गुजरात में निवासरत हैं। लिखना आपकी पसंद का काम है,इसलिए कविता-गीत लिखते हैं। श्री यादव के लेखन का उद्देश्य-शौक और सामाजिक चेतना को जागृत करना है।

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मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।