1- घर,बाहर हो,या हो फैक्ट्री । विदआउट पीपीई, नो इंट्री ।। 2- आज कसम हम खाएँगे । पी पी ई अपनाएँगे ।। 1- घर,बाहर हो,या हो फैक्ट्री । विदआउट पीपीई, नो इंट्री ।। 2- आज कसम हम खाएँगे । पी पी ई       अपनाएँगे ।। 3- हमसे  है परिवार […]

गोदान के संदर्भ में दो मुख्यत: बातें सामने आती हैं। एक 1936 में प्रकाशित मुंशी प्रेमचंद का जग जाहिर उपन्यास गोदान और दूसरा मत्यु के उपरान्त वैतरणी पार करने के लिए गोदान। इन दोनों गोदानों में गाय का जिक्र है साथ ही आज के दौर में परिवर्तन की शुरुआत हो […]

सूर्य की प्रथम रश्मि शैशव काल में लुढ़कते कदमों से चल पड़ती है बिना गन्तव्य सोचे कभी तेज कभी मंद कदमों से और आ पहुँचती है वसुधा के आँगन में। समृद्ध घर की बेटियों की तरह देखते ही देखते समय को पीछे ढकेलकर किशोरवयी हो जाती है। क्रान्ति की अनगिनत […]

सदियों से मकड़जाल में फँसाये रखने की हुनर रखते थे। अमरबेल की तरह सहारे को ही चूसकर निष्पाण करने का महारत हासिल था। अपने स्वार्थ के लिए न्याय की आड़ में अन्याय को बढ़ावा देने में वे दक्ष थे। बाँट – बाँटकर किसी का भी बंटाधार करने की कला वंशानुगत […]

परिवर्तन का जोश भरा था, कुर्बानी के तेवर में। उसने केवल कीमत देखी, मंगलसूत्री जेवर में।। हम खुशनसीब हैं कि इस वर्ष 26 जनवरी को 70वाँ गणतन्त्र दिवस मना रहे हैं। 15 अगस्त सन् 1947 को पायी हुई आजादी कानूनी रूप से इसी दिन पूर्णता को प्राप्त हुई थी। अपना […]

हे अमानुषों! बनकर आँधी बार – बार झपटे हो…… मैं दीपक हूँ नहीं बुझा था नहीं बुझूँगा चाहे जितना जोर लगा लो सागर की लहरों से लेकर गति अथवा प्रलय प्रभंजन से रिश्तों की रीति निभाकर या बादल से बारिश की सौगातें लेकर….. मैं माटी में उपजा दीप तेल बाती […]

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।