नैतिकता क्या है?,सबसे पहले तो यह समझ लिया जाए। वास्तव में नैतिकता की परिभाषा ही बदल चुकी है। पुराने समय में जो भी नैतिक मूल्य थे,प्रायः देखने में आता है कि वे अब पूरी तरह से खो गए हैं। फिर भी यदा-कदा दिख जाते हैं तो थोड़ी उम्मीद जाग जाती […]

स्त्री पुरुष-एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी या पूरक यह विषय आज भी बहुत महत्वपूर्ण और प्रासंगिक है। इस पर मेरे विचार स्त्री होते हुए भी थोड़े अलग हैं। मैं मानती हूं और चाहती भी हूं कि स्त्री, पुरुष यदि पति-पत्नी हैं तो पूरक ही हैं, बशर्ते कि दोनों एक-दूसरे के लिए […]

`भारत स्वच्छ अभियान` अभी तक कोई ज्यादा असर नहीं दिखा पाया है,पर आने वाले समय में निश्चित ही ये बहुत सार्थक सिद्ध होगा। दरअसल कोई कार्य मात्र औपचारिकता से सम्पन्न नहीं हो सकटा है। पूरी की पूरी मानसिकता बदलनी है,क्योंकि अज्ञानता, लापरवाही और आदतन ही व्यक्ति स्वच्छता की तरफ ध्यान […]

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मेरी तस्वीर को कैद कर लो, मुझे कैद कर लो। मेरे जिस्म को लेकिन, क्या कर सकते हो कैद? मेरे विचारों को अरमानों को, जज़्बातों को मेरे ख्वाबों को, मेरे इरादों को। नहीं जनाब ये, नामुमकिन है और मुझे यकीन भी है, कि एक न एक दिन तुम यकीं करोगे […]

हर मनुष्य को स्वदेश और स्वभाषा से प्रेम होना चाहिए। हिंदी की छोटी बहन उर्दू है। यह हमारी बोलचाल की भाषा में अच्छे से घुल मिल गई है। इस भाषा ने पूरे भारतवर्ष को एकता में पिरोया हुआ है। भारत के एक सिरे से दूसरे सिरे तक हिंदी भाषा कुछ […]

 अनुशासन बंधन नहीं है। प्रकृति भी अनुशासित है। देखो न, पृथ्वी और सारे ग्रह अपनी निश्चित परिधि में निश्चित गति पर सूर्य के चक्कर लगाते हैं। दिन रात, मौसम चक्र, सब इसी प्रबंधन का परिणाम है। पृथ्वी यदि कह दे , मैं तो बोर हो गई, या थक गई, एक […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।