. …..…. उत्सव फाग बसंत तभी जब मात महोत्सव संग मने। जीवन प्राण बना अपना, तन माँ अहसान महान बने। दूध पिये जननी स्तन का, तन शीश उसी मन आज तने। धन्य कहें मनुजात सभी, जन मातु सुधीर सुवीर जने। . …..….. भाव सुनो यह शब्द महा, जनमे सब ईश […]
babulal
दिव्य जनों के,देव लोक से, कैसे,नाम भुलाएँगे। कैसे बन्धुः इन्द्रधनुष के प्यारे रंग चुराएँगे। सिंधु,पिण्ड,नभ,हरि,मानव भी उऋण कभी हो पाएँगें? माँ के प्रतिरूपों का बोलो, कैसे कर्ज चुकाएँगे। माँ को अर्पित और समर्पित, अक्षर,शब्द सहेजे है। उठी लेखनी मेरे कर से, भाव *मातु* ने भेजे है। पश्चिम की आँधी में […]
