शिव बोलेः ‘हे पद्ममुखी! मैं कहता नाम एक सौ आठ। दुर्गा देवी हों प्रसन्न नित सुनकर जिनका सुमधुर पाठ।१।     ओम सती साध्वी भवप्रीता भवमोचनी भवानी धन्य।  आर्या दुर्गा विजया आद्या शूलवती तीनाक्ष अनन्य।२।   पिनाकिनी चित्रा चंद्रघंटा, महातपा शुभरूपा आप्त। अहं बुद्धि मन चित्त चेतना,चिता चिन्मया दर्शन प्राप्त।३। […]

काली महाकाली सिद्ध काली भद्रकाली मातु, घोर रुपधारिणी तुम्हारी करूँ   वन्दना।। रुप  विकराल धर दुष्टों  को    संहारती  हो, राक्षसों  के  मुंड  माल  धारिणी  की वन्दना।। लाल के संवारो काज बिगड़ी  बनाने  वाली, काली कलकत्ता वाली बार –बार  वन्दना।। पूत हूँ तुम्हारा नाम नीरज अवस्थी  मेरी, अँखियों के सपने संवारो माँ की  वन्दना।।                               […]

मेरी माँ पूर्णमति, दुनियाँ की माँ तो संसार चलाने का मार्ग देती है। पर मुझे गर्व है तुमने, संसार सागर से पार होने के लिए.. गुरु से जुड़ने का अनुपम मार्ग दिया। सिर्फ मार्ग ही नहीं, मार्ग पर बढ़ने के लिए अनुप्रेरित भी किया। मैं जन्म जन्मान्तर तक, रहूँगा तुम्हारा […]

श्रीकृष्ण कहे सुन ले अर्जुन, जो रुप तुझे दिखलाया है, अब से पहले उस दिव्य रुप को, कोई नहीं लख पाया है। इस घोर रुप को लख करके, तू क्यों कर व्याकुल होता है, हे भक्त शिरोमणि प्रेम सहित, तू देख वही जो सोचा है। संजय बोले- सुनिए राजन, यों […]

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अटल सौभाग्य चाहने के लिए आदिकाल से महिलाएं भगवान शंकर और पार्वतीजी की सच्चे मन से पूजा-अर्चना कर खीर-पूड़ी,दाल-भात का भोग लगाकर उनसे जीवन दाम्पत्य जीवन एवं परिवार की सुख समृद्धि,वंशवृद्धि का वरदान मांगती हैं। गणगौर पर्व के शुभारंभ को लेकर भिन्न-भिन्न मान्यताएं सामने आती हैं। कुछ का मानना है […]

दोस्तों,आज के इस कलयुगी और मायाचारी संसार में हम और आप अपनी संस्कृति को बिलकुल से ही खो चुके हैं।पश्चिमी सभ्यता को अपने जीवन के साथ अपने घरों में भी सजाने और व्यवहार में अपनाने लगे हैं। इस चक्कर में भारतीय सभ्यता और संस्कृति को पुरानी व रूढ़िवादी बताते हुए […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।