निर्जन नाम साथ हरे-भरे खेत-खलिहान, और कुछ आढ़ी-टेढ़ी बस्तियों-सा गाँवl कुछ अकेले और मन संचित ह्रदय वाले, आशा के रहीम,फकीर ह्रदय का मूर्छावl  कर्ज में पीढ़ी-पीढ़ी और आत्मज अर्पण, बँटता रहता,रीढ़ की हड्डी-सा बचा-कुचाl मन उज्ज्वल मन्दिर,आशा उसकी माया, काया को न नसीब ह्रदय आशा का सच्चाl  मन तिनकों से […]

जिसे खून लगा मुंह सत्ता का,  उसे न भान है जनता का। देखी कायरता उन कुत्तों  की, जो घात लगाए बैठे थे। सोच `सिंह` का वध करने का,  अरमान दिल में जगा बैठे थे। चन्द सियासी जयचंदों ने,  वीर सपूत को झोंक दिया। झुलस उठी माँ भारती,  देख लहू उन […]

बेटियाँ तो हैं अनमोल रतन, इनका सब करो रे जतनl न मारो इनको  कोख में यूँ ही, इनसे ही खिला रहे घर-आंगनl बेटियां तो हैं कली गुलाब की, कच्ची उम्र में न ब्याहो बाबुलl शिक्षित करो बिटिया को अपनी, उसे तुम बोझ न समझो माँ-बाबुलl बेटी जीएगी तो ही हमें […]

देश में कबाड़ और कबाड़ की परख करने वाले सैलाब की तरह आ रहे हैं। जहां कबाड़ दिखा,हुक लगाया उठा लिया। कबाड़ के पास रखी नई चीज भी उठा लेते हैं कबाड़ी-मोहल्ले से लेकर राजपथ,राजपथ से लेकर जनपथ तक। जनपथ यानी जनता का पथ या मार्ग तक अपनी बिना ठिए […]

जिन्दगी चार पल की है, दो पल हँस, दो पल हँसाकर जी लो। इन पलों में क्या गम-क्या नाराजगी, हँस-खेलकर जिंदगी गुजार लो। जिन्दगी क्षण भर की है, ताश का महल है। ईश्वर की एक फुंकार से बिखर जाना है इसे, बैर भी न रख जिंदगी से, जिन्दगी जी, जी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।