तेरे प्रेमी भक्त हैं,कान्हा!कई करोड़। सबके मन से किस तरह,करते हो गठजोड़? मधुबन्ती ब्रजभूमि में,कान्हा मधु का धाम। मधुमय वंशी स्वर सरस,मधुमय राधा नाम॥ रुदन देती कभी,देती हँसी ललाम। कान्हा!तेरी बाँसुरी,गूंज रही अविराम॥ छोड़ गए ब्रज में रुदन,पीड़ा,व्यथा अनंत। कहो द्वारिकाधीश! कब,होगा इनका अंत ?॥ […]
महाविद्यालय चाहे तो स्नात्कोत्तर पाठ्यक्रम भी शुरू कर सकता हैl राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ही अब चिकित्सा महाविद्यालय की मान्यता देगा,हर साल चिकित्सा महाविद्यालय को नवीनीकरण हेतु चिकित्सा परिषद् में चक्कर न लगाकर यह आयोग भी मामलों को देखेगाl हर वर्ष का निरीक्षण ख़त्म कर दिया गया है,अब हर दिन ऑनलाइन नजर होगीl ४७९ चिकित्सा महाविद्यालय में से ३५० ऑनलाइन जुड़ चुके हैंl अब राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग […]
