एक अप्रैल को ही मूर्ख दिवस क्यों मनाते हैं, तीन सौ चौसठ दिन क्या होशियार हो जाते हैं? मुझे तो बचपन से मुर्ख बनाया जा रहा है, चांदी के बदले गिलट का टुकड़ा पकड़ाया जा रहा है। छोटे में माँ से कोई चीज मांगता था,रोता था, माँ बहला देती थी,नहीं.. […]
व्यंग्य
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