६९ वें गणतंत्र दिवस पर,  भारत माता को मेरा नमन  मातृभूमि तुझको नमन, हे मातृभूमि तुझको नमन यशगान करते धरती-गगन। स्वर्ग-सा संवरा हुआ यह, प्यारा-सा अपना वतन।   हैं फूल इसमें भिन्न-भिन्न, पर एक में बिंधे हुए हैं। खुशबू मिलती एक-सी, हम एक संग गुंथे हुए हैं।   मुकुट बन […]

******************************** हिमालय की उपत्यका में गंडक नदी की यह तटवर्ती भूमि वैदिक युग में अनेक ऋषि-मुनियों एवं संत महात्माओं की साधना स्थली रही। प्राचीन काल में यह भूभाग लिच्छिवी गणराज्य के अंतर्गत था जहां प्राचीन भारत की सभ्यता और संस्कृति का अभ्युदय हुआ। कालांतर में यह भू-भाग मगध साम्राज्य के […]

कितनी माताओं की, सूनी हो गई गोद। तरसे होंगे रोटी के लिए, असंख्य अबोध। इस बँटवारे का, नगर कितना लम्बा है ? अनगिनत स्त्रियों का, संसार सूना हो गया। मुस्कुराती बगिया का, चमन वीरान हो गया। कपोलों पर सूखा, सागर कितना गहरा है ? रक्षाबंधन पर कितनी राखियां, सिसकी,तड़पी होंगी। […]

मूक बने हैं हिन्दू सारे,हिम्मत ना हथियार रहा। दर्द की सीमा पर हुई ,दिल में दर्द अपार रहा॥ अब मुझको तू माँ ना कहना, तू रिश्ते से बाहर रहा। दूध पिया बिन मोल ही मेरा,हिन्दू तू कर्जदार रहा॥ बेच दिया तूने क्यूँ मुझको,टुकड़ों में बंटवाने को। निर्मोही इन जल्लादों के,हाथों […]

पर नारी की उम्र देख नर रिश्ते गढ़ते। माता,बहना या कि बेटियाँ प्राय: कहते॥ साली-जीजा रूप बहन-भाई के जैसे। देवर-भाभी लगें पुत्र- माता हों ऐसे॥ परियों में भी मातृ रूप के दर्शन मिलते। कहाँ गया आधार कि सारे रिश्ते हिलते॥ रिश्तों को फिर लीक वही अपनाना होगा। अवध न जाए […]

     ‘माँ,इतना कुछ क्यों दे रही हो! कहीं जाते वक्त इतना कुछ खाकर जाना संभव नहीं है।’ माँ कुछ बोले,उससे पहले ही पिताजी जवाब दे देते हैं,-‘यात्रा में निकलने से पूर्व कुछ खाकर निकलना चाहिए। इतनी दूर जाना है,क्या पता रास्ते में गाड़ी रुकेगी या नहीं,इसलिए कुछ खा लो। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।