सर उठा कर चल नही सकता बीच सभा के बोल नही सकता घर परिवार हो या गांव समाज हर नजर में घृणा का पात्र हूँ ! क्योकि “बेटी” का बाप हूँ !! जिंदगी खुलकर जी नहीं सकता चैन की नींद कभी सो नही सकता हर एक दिन रात रहती है चिंता जैसे दुनिया में कोई श्राप हूँ ! क्योकि “बेटी” का बाप हूँ !! दुनिया के ताने कसीदे सहता, फिर भी मौन व्रत धारण करता, हरपल इज़्ज़त रहती है दाँव पर, इसलिए करता ईश का जाप हूँ ! क्योकि “बेटी” का बाप हूँ !! जीवन भर की पूँजी गंवाता फिर भी खुश नहीं कर पाता रह न जाए बेटी की खुशियो में कमी निश दिन करता ये आस हूँ क्योकि “बेटी” का बाप हूँ !! अपनी कन्या का दान करता हूँ फिर भी हाथजोड़ खड़ा रहता हुँ वरपक्ष की इच्छा पूरी करने के लिए जीवन भर बना रहता गूंगा आप हुँ क्योकि “बेटी” का बाप हूँ !! देख जमाने की हालत घबराता बेटी को संग ले जाते कतराता बढ़ता कहर जुर्म का दुनिया में दोषी पाता खुद को आप हूँ क्योकि “बेटी” का बाप हूँ !!        #संजय जैन परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के […]

ये शब्द-शब्द  ढाल हैं, ये शब्द-शब्द चोट हैं। इन्ही में ज्ञान गंगा है, इन्ही में छुपा खोट है। बाजारों में राजा झूठ, सच को लगती चोट है। बेबस से खफा हैं शब्द, गुनाह की ये ओट हैं। गरीब है किसी के शब्द, किसी के शब्द नोट हैं। गरीब के हैं […]

ये दुराचार कब खत्म होगा ? कब तक बेटियाँ असुरक्षित रहेंगी मासूम बेटियाँ कब तक इन दरिन्दों का शिकार  होती रहेंगी? लगता है हर जगह हैवान घूम रहे  है। जो बालाओं का  अपहरण कर रहे  हैं दुष्कर्म कर रहे हैं नोच – नोचकर  खा रहे हैं। क्या बेटियाँ घर  से […]

मैने बाजार मे अक्सर झूठ के खरीददार देखे है, सच खरीदते बहुत कम कोई वफादार देखे है। धर्म के नाम पर अधर्म का अक्सर प्रचार होता है, धार्मिक स्थलों का नाम बेवजह बदनाम होता है। ईश्वर के नाम पर लूटते झूठे पूजारी लाखो हकदार देखे है, लेकिन सच बोलते बहुत […]

मेरी ग़ज़ल भी तुम्हारी रोटी  जैसी हो जाए जिसे खा के किसी पेट की आग मिट जाए हरेक नज़्म हो दर्ज़ी की  कैंची के माफिक गर लफ्ज़ बिगड़े तो ज़ुबान तक कट जाए हर हर्फ़ ने छिपा रखा हो आसमाँ का राज़ जो बरसे कभी तो ज़मीं का दिल फट […]

प्रेम ..? बादल बिजली सा ..? ना, नही है मेरा प्रेम ऐसा .। क्षणिक.. समय आधारित । मेरा प्रेम . चातक चकोर  सा ? न ,न, ..अपेक्षा है रात पर तरसता है रोता है .. न ,ऐसा नहीं है प्रेम मेरा .. मेरा प्रेम चंदन पानी .. ना,ये भी ना […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।