दिल किसी का दुखाना नहीं हमको चेहरा किसी से छुपाना नहीं हमको तिरंगा लहराते हम शान से चलते है कभी सर भी झुकाना नहीं हमको दूरी बनाकर हम रखते है उनसे भी ग़द्दारों को पास बिठाना नहीं हमको दिखाए आँख जो हमको चिर देंगे हम गलती से भी आजमाना नहीं […]

हाथ जोड विनती करूँ , धरुँ  मैं शीश चरण लाज मेरी रखों गुरुदेव आया आपकी शरण ।। विनय मेरी सुन लो ,  हे  !  गुरुदेव  महाराज आराधना निशिदिन करुँ , बन आपका दास ।। सुमिरन दीप जलाया हैं,उर में दीप जला देना मैं खडा आपके द्वार पर , बेडा पार […]

कौन करेगा जग में ऐसा जैसा माँ प्यार…. करती है बिना स्वार्थ के .. अपने बच्चे का वो ख्याल रखती है । हो पागल या फिर लूला , फिर भी ना वो बदलती है । प्राणो से भी बढ़कर , बच्चे की सेवा करती है । पद प्रतिष्ठा देखकर , […]

जिन्दगी तेरी अमानत समझ कर जी रहे। जिन्दगी तेरे लिये ही समझ कर जी रहे। मौत और जिंदगी के बीच का यह फासला,  हो रही तेरी  इबादत समझ कर जी रहे। मुक्तक बाँसुरी में कान्हा ,गीत प्रीत के गाते रहे। गौ गोपी संग ,ब्रज के कण- कण को लुभाते रहे। […]

मत पूछो कोई रूह में समाए तो कहाँ तक जिन्दगी के हर तार धड़काए तो कहाँ तक मुझको लगता ही नहीं खुद में फकत मैं हूँ अंजान दिल में घर कर जाए तो कहाँ तक चाँद पर जाकर आसमां उतारने की ज़िद है बेख़बर मुझको दिवाना बनाए तो कहाँ तक ज़मीं गगन क्या है उसके तोहफ़े के लायक खुबसूरत ताजमहल भी बनाए तो कहाँ तक रब छीने जो चाहत के दम वापस ले आऊँगा दिल्लगी इब्तिदा अंजाम जाए तो कहाँ तक क़यामत का आख़िरी हसीं तराश लिया होगा क्या बताऊँ मैं नज़रों को लुभाए तो कहाँ तक कुदरत के इशारों को अदा में क़ैद कर ली है जाने मुद्दत को दर-बदर नचाए तो कहाँ तक नाम:राजीव कुमार दास पता: हज़ारीबाग़ (झारखंड)  सम्मान:डा.अंबेडकर फ़ेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान २०१६ गौतम बुद्धा फ़ेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान २०१७ पी.वी.एस.एंटरप्राइज सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान १४/१२/२०१७ शीर्षक साहित्य परिषद:दैनिक श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान १५/१२/२०१७ काव्योदय:सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान:०१/०१/२०१८,०२/०१/२०१८,०३/०१/२०१८३०/०१/२०१८,०८/०५/२०१८ आग़ाज़:सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान:२५/०१/२०१८ एशियाई […]

नीरज हिदी-कविता के सर्वाधिक विवादास्पद कवि रहे हैं। कोई उन्हें निराश मृत्युवादी कहता है तो कोई उनको अश्वघोष का नवीन संस्करण मानने को तत्पर है, लेकिन जिसने भी नीरज के अंतस् में झाँकने का प्रयत्न किया है वह सुलभता से यह जान सकता है कि उनका कवि मूलतः मानव-प्रेमी है, […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।