रात बहुत हो गई, चल अब सुबह होने दे… चलना कहाँ है अभी, सोच तो लेने दे। चल देंगे सुबह जल्दी, जहाँ मंजिल बुला रही होगी, होगी कोई आवाज़ ऐसी, जो हमें अपनी ओर बुला रही होगी….। जरूरी तो नहीं ,जहाँ बादल छाए रहें, वहाँ हर बार बारिश ही होगी….. […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा
रचनात्मकता,खत्म हुई शायद, नकलों का जहाँ,बोलबाला है। झूठे लोगों की,जय-जयकार, सच्चे का मुँह यहाँ काला है। पंगु जहाँ,चढ़ने लगे पहाड़, सज्जन के,मुहँ पर ताला है। जहाँ बैठे भोले,बने सियार समझो,कुछ गड़बड़ झाला है। जहाँ जीते, हारे बैठे हैं, हारों के गले,विजयमाला है। समझ की बहती,नदी नहीं, समझो,अज्ञान का नाला है। […]