डाल कटी तो बरगद रोया, उतरी छाल न पीपल सोया कटहल जामुन आम अभागे, निम्ब वृक्ष ने धीरज खोयाll साथ मिला अमरूद डाल का, चली कुल्हाड़ी खट्टम खट गिरीं डालियाँ सब कट-कटll घहर घहर घहराया कटहल, हहर हहर हहराया पीपल ठूँठ हुई बरगद की छाती, सूना हुआ धरा […]
काव्यभाषा
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