देश हमारा प्यारा हैं सबका बहुत दुलारा हैं। तभी अनेकता में एकता हम सब का नारा है। देश हमारा प्यारा हैं..।। बहु भाषाएँ होकर भी कश्मीर से कन्याकुमारी तक। भारत देश हमारा हैं जो प्राणो से भी प्यारा हैं। जहाँ जन्मे राम कृष्ण और उन पर लिखने वाले संत। तभी […]

करे न कोई गम अब जाते हुए 2077 संवत का। जो बीता सो बीता अब गुजर गया साल। सिखा गया जाते जाते लोगों के दिलमें प्रेमभाव। नहीं आया विपत्ति में धनदौलत अबकी बार। भूला कर अपने सारे गम करे नई सोच के साथ शुरूआत।। नया साल दे आपको, मन माफिक […]

लिखता मैं आ रहा हूँ गीत मिलन के। रुकती नहीं कलम मेरी लिखने को नए गीत । क्या क्या मैं लिख चुका मुझको ही नहीं पता। कब तक लिखना है, ये भी नहीं पता। लिखता में आ रहा…..।। कभी लिखा श्रृंगार पर, कभी लिखा इतिहास पर । और कभी लिख […]

कभी अंधेरों में रोशनी को ढूँढ़ता हूँ। तो कभी रोशनी को अंधरो में खोजता हूँ। एक दूसरे के बिना दोनों ही अधूरे से हैं। इसलिए दीयावाती तेल दोनों के पूरक हैं।। जिंदगी के सफर में कुछ कुछ होता रहता हैं। कभी जिंदगी में अंधेरा तो कभी उजाला होता है। पर […]

लोकतंत्र के नाम पर पूंजीवाद के मकड़जाल में फंसता आदमी । असुरक्षित सत्ता से सुरक्षा की गुहार लगाता आम आदमी । भावनाहीन, तर्कहीन चाटुकार प्रशासन से अपनी सुविधाओं की भीख मांगता आदमी । राष्ट्रवाद के नाम पर अपने ही सैनिकों के खून पर फिर से सत्ता सुंदरी को पाते हैं […]

मोहब्बत का नशा बड़ा अजीब सा होता है। जब मोहब्बत पास हो तो दिल मोहब्बत से घबराता है। और दूर हो तो मिलने को बार बार बुलाता है। और दिलों में एक आग सी जलाये रखता हैं।। दूर होकर भी दिल के पास होने का एहसास हो। मेरे दिलकी तुम […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।