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बू अराजकता की फैली,मंद क्यों करते नहीं हो;
सच गलत का खुद ही अंतर द्वंद क्यों करते नहीं हो!!
लुट रही जब बेटियों की आबरू हर इक गली में;
जम गया क्या रक्त,भारत बंद क्यों करते नहीं हो!!
जो जला दे दिल में ज्वाला,गूँज से कप जाये अंबर;
आज उठ कर ऐसा सुरभित छंद क्यों करते नहीं हो!!
निम्न होती मानसिकता औ मनुजता खो गई है;
ऐ युवा खुद को विवेकानंद क्यों करते नहीं हो!!
हिंदु मुस्लिम राजनीति,धर्म पर नारे लगाते;
काम इनसे आके बाहर चंद क्यों करते नहीं हो!!
द्वेष ईर्ष्या छल कपट का अब दिलों पर राज “मेघा”;
गैर की खुशियों में भी आनंद क्यों करते नहीं हो!!
#मेघा योगी
परिचय:
नाम-मेघा योगी
साहित्यिक उपनाम-मेघा
वर्तमान पता- गुना
राज्य-मध्य प्रदेश
शहर-गुना
शिक्षा-Bsc biotechnology PGDCA
कार्यक्षेत्र-विद्यार्थी
विधा -गीत,गजल,मुक्तक,छंद,लेख,लघुकथा,कहानीआदि
मोबाइल/व्हाट्स ऐप –
प्रकाशन-देश की ईपत्रिकाओं सहित विभिन्न पत्रिकाओं एवं अखबारों में समय समय पर रचनाओं का प्रकाशन,साझा गजल संग्रह गुंजन
सम्मान-अंतरा शब्द शक्ति सम्मान
ब्लॉग-
अन्य उपलब्धियाँ-
लेखन का उद्देश्य -माँ हिंदी की सेवा कर आत्मसंतुष्टि को प्राप्त करना
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उम्दा,शानदार