
सीखी है प्रीत की नई परिभाषा l
रूह से रूह का मिलन हुआ है,
बढ़ी है जीने की अभिलाषा…l
अंधेरी रातें रोशन होंगी,
अपने इश्क़ के उजियारे से l
कस के थामेंगे हाथ ऐसे,
जो कभी न छूटे तूफानों में…l
एक दूसरे में खोकर हम,
इश्क़ की शमा जलाएंगे l
जैसे चीनी घुलती पानी में,
एक दूजे में घुल जाएंगे…l
ये बंधन अब अभेद,
अटूट बन चुका अपना l
प्रिये तुम देखना…
मुक्कमल होगा,
मिलकर देखा है जो सपना…l
चुम्बन लिया है जब से तेरा,
सीखी है प्रीत की नई परिभाषा l
रूह से रूह का मिलन हुआ है,
बढ़ी है जीने की अभिलाषा…ll
परिचय : राहुल सेठ उदयपुर जिले के गांव-थोबावाड़ा (राजस्थान) में रहते हैंl हिन्दी शायरी और कविता का शौक रखते हैं,साथ ही ब्लॉग पर भी लेखन में सक्रिय हैंl