दिन,कई दिन छिपा रहा जैसे,
खौफ़ कोई सता रहा जैसेl
सुबह सूरज को नींद आने लगी,
अब्र चादर उड़ा रहा जैसेl
एक आहट-सी लग रही मुझको,
कोई पीछे से आ रहा जैसेl
हम मुसाफ़िर हैं एक जंगल में,
खौफ़ रस्ता दिखा रहा जैसेl
उलझा-उलझा-सा एक चेहरा ही,
सौ कहानी सुना रहा जैसेl
बढ़ गया आगे काफ़िला मेरा,
मुझको माझी बुला रहा जैसेl
#संजू शब्दिता
परिचय: संजू शब्दिता का जन्म स्थान भादर(अमेठी,उत्तरप्रदेश) में १९८४ का हैl आप वर्तमान में इलाहाबाद में रह रही हैंl शिक्षा एमए (हिन्दी साहित्य) के साथ ही `नेट` और जेआरएफ भी हैl अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचित ग़ज़लें प्रकाशित होती रही हैl दो ग़ज़लों को सुप्रसिद्ध ग़ज़ल गायिका भारती विश्वनाथन ने स्वर दिए हैं। रेडियो से दो बार ग़ज़ल का प्रसारण हुआ है। वर्तमान में आप ‘समकालीन हिन्दी ग़ज़ल’ विषय पर शोधरत हैंl