‘घण्टा चोरी हो गया’…इंदौरियों का अच्छा काम

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edris
यहाँ इंदौरी फ़िल्म है जो सिनेमाघरों में
 ‘जग्गा जासूस’ के सामने प्रदर्शित हुई है।
राघवेंद्र तिवारी की कहानी पर आसिफ काजी के संवादों से सजी फ़िल्म में
मुम्बई ओर इंदौरी कलाकारों को एकसाथ देखने को मिला है। निर्भयसिंह के निर्देशन में इस फिल्म ‘घण्टा चोरी हो गया’ को विक्रमसिंह गुर्जर ने निर्मित किया है। फ़िल्म में इंदौरी कलाकारों की भरमार है। कहानी की बात करें तो
एक गांव में 2 सौतेले ठाकुर भाई हैं और दोनों की अनबन है। एक अच्छा (निमय बाली) तो एक बुरे (शाहबाज खान) की लड़ाई चलती रहती थी कि,मंदिर से चांदी का पुश्तैनी घण्टा चोरी हो जाता है,तथा एक हत्या हो जाती है। तब पंडित (राघवेंद्र तिवारी) बड़े ठाकुर से मिलकर पुलिस निरीक्षक ( विक्रम गुर्जर) से चोर का पता लगाने और घण्टा खोजने की शुरूआत करते हैं। ऐसे में कहानी अलग- अलग मोड़ लेती हुई सत्य की जीत पर पहुँचती है। इसमें अभिनय की बात की जाए तो शाहबाज व निमय सहजता से अभिनय करते हैं। नीरज पंडित क्रूर ठाकुर के बेटे बने हैं, जो पिता के पदचिन्हों पर चलते नज़र आए। उन्हें अभिनय में केवल वीभत्स और रौद्र रस से बाहर आकर किरदार को पकड़ने की ज़रूरत है।
राघवेंद्र,कुणाल,छाया सोनी,विक्रम गुर्जर, गौरव साध,प्रियंका दुबे,अब्दुल गफ्फार, हर्षल,आशीष,तरुणा एवं वकार खान अपने  काम को बखूबी निभा गए हैं।
फ़िल्म में पकड़ बनाने की कोशिश की निर्भय ने,और कुछ हद तक सीमित संसाधनों के साथ कामयाब भी हुए हैं।
वसीम अब्बास ने कैमरे का कार्य बखूबी निभाया है। ये लगातार लगे हुए हैं,कई वृत्तचित्र और फिल्मों का काम कर चुके हैं।
इस फ़िल्म को इंदौरी मानकर देखा जाए तो लाजवाब काम है,क्योंकि इंदौर के पास कोई दूसरी क्षेत्रीय भाषा नहीं है, इसलिए यहां की फ़िल्म मुंबई की फिल्मों में शुमार होती है। इंदौर के सीमित संसाधनों के हिसाब से मुम्बईया कलाकारों के तड़के में इंदौरी कलाकारों का तालमेल निश्चित ही इंदौरी सिनेमा को ऊँचाई तक पहुँचाएगा,जिसमें अँगूरी बनी अंगारा,तेरे मेरे संस्कार आदि और आने वाली फिल्में अबाउट मी,अभिशप्त, संजना अन्य कतार में दिख रही हैं। इससे न केवल इंदौर शहर के कलाकार खप जाएंगे,और आसपास के भी लगेंगे।
निर्माता विक्रमसिंह गुर्जर और निर्देशक निर्भय चौधरी को बधाई कि,न केवल फ़िल्म बनाई,वरन उसे प्रदर्शित भी कर सके।
इस फिल्म में संगीत आनन्द और निधि का है। गाने अच्छे बन पड़े हैं।
कोरियोग्राफर विशाल बैस ने सीमित संसाधनों की कमी महसूस नहीं होने दी और बखूबी गानों को देखने काबिल बना दिया है।                                                                                           #इदरीस खत्री

परिचय : इदरीस खत्री इंदौर के अभिनय जगत में 1993 से सतत रंगकर्म में सक्रिय हैं इसलिए किसी परिचय यही है कि,इन्होंने लगभग 130 नाटक और 1000 से ज्यादा शो में काम किया है। 11 बार राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नाट्य निर्देशक के रूप में लगभग 35 कार्यशालाएं,10 लघु फिल्म और 3 हिन्दी फीचर फिल्म भी इनके खाते में है। आपने एलएलएम सहित एमबीए भी किया है। इंदौर में ही रहकर अभिनय प्रशिक्षण देते हैं। 10 साल से नेपथ्य नाट्य समूह में मुम्बई,गोवा और इंदौर में अभिनय अकादमी में लगातार अभिनय प्रशिक्षण दे रहे श्री खत्री धारावाहिकों और फिल्म लेखन में सतत कार्यरत हैं।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।