कविता-उजाले की किरण

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कभी भी…
चार दिवारी में कैद होकर
खुद को सबसे जुदा नहीं करना चाहिए।
उम्मीद के लिए घर की तरह ही
एक खिड़की हमेशा खुली रखना चाहिए।

उजाले की कोई किरण….
कभी कोई पैगाम ले आएगी।
कभी चमकती धूप से मन की उदासी छट जाएगी।
धूप-छाँव से जगमग होगी सारी दीवारें,
धवल प्रकाश से मन की मलिनता धूल जाएगी।

एक हवा का झोंका…
कभी शिकायतों को उड़ा ले जाएगा।
कभी चेतनता की बची चिंगारी को वह जलाए रखेगा।
घूंट रही थी जो श्वासें निराशा के अंधकार में,
उन साँसों में ताज़गी देकर जिंदगी को जीत जाएगा।

उजाले की एक किरण ही
रोशनी के लिए बहुत होती है।उम्मीद की एक किरण ही जीने का सबसे बड़ा मुहूर्त होती है।

#अनिता दीपक,
इंदौर, मध्यप्रदेश

#परिचय-

1. नाम :-अनिता शर्मा

2. जन्मदिनांक- 06-08-73

3. पद-उच्च माध्यमिक शिक्षक

4. कार्यक्षेत्र- शा. कन्या शिक्षा परिसर उ. मा. विद्यालय, इंदौर

5. शिक्षा -एम.ए.संस्कृत,सेट,बी.एड.
उपलब्धि

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