कविता- गाथा ‘सिद्धार्थ से बुद्ध तक की’

0 0
Read Time2 Minute, 3 Second

कपिलवस्तु के लुम्बिनी वन में
शाक्यकुल के राज्यवंश में
शुद्धोधन-महामाया के घर
इक महापुरुष अवतारे थे
तेजस्वी इस ज्योतिपुंज से
एशियाई क्षेत्रों में उजास हुआ
प्रेम शांति का संचार हुआ…

राजा शुद्धोधन-मायादेवी ने
पाया सुदर्शन इक राजकुमार
सिद्धार्थ उदास ही रहता था
देख बुढ़ापा, रोग, मृत्यु को
राजमहल के वैभव सारे
राजकुंवर को रास न आए
राजऋषि का आविर्भाव हुआ…

यशोधरा मनोरम रानी पाई
राहुल चंदा दो प्रिय संताने
राजदरबार के सुख–साधन
सिद्धार्थ को बांध नहीं पाए
दुःख का कारण इच्छाएँ हैं
इस सत्य को सिद्ध करे कैसे
त्याग दिया घर और परिवार…

तीर्थस्थलों का किया भ्रमण
धर्मशास्त्रों का गहन अध्ययन
समाधान कोई मिल न पाया
सीधे जा पहुँचे वे गया धाम
बोधिवृक्ष की छाया तले
मिला तपस्वी को संज्ञान
स्वयं में दीपक का आभास हुआ…

वेद-पुराण की किंवदंतियाँ
कहती विष्णु का नौवां अवतार
स्वयं को मानव ही माना
पद ईश्वर का नकार दिया
रक्षक नहीं शिक्षक बन कर
दूर रहे सदा कर्मकांडों से
मुक्तिमार्ग सहज ही दिखा दिया…

अस्तित्वों का अंत मान कर
संस्थापक बने बौद्धधर्म के
प्रेम, शांति, समभाव, ध्यान से
तथागत,गौतमबुद्ध कहलाए
श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड
कंबोडिया, भूटान आदि में
बौद्धधर्म का श्रीगणेश हुआ…

#सरला मेहता
इंदौर

matruadmin

Next Post

कविता - गौतम बुद्ध

Thu May 23 , 2024
आपका नाम ज़ुबाँ पर आते ही दुनिया सिमट जाती है अंतर्मन में दु:ख से उबरने का रास्ता दिखा रास्ता बना दिया सबके जीवन में। पल-पल आपको याद करती दु:खी के दु:ख देख आप होते थे जैसे दु:खी वैसे ही मैं भी प्राणी मात्र को नहीं देख पाती संघर्षरत दु:खी। आपने […]

पसंदीदा साहित्य

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।