आज मन बहुत उदास है

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एक तड़फ सी उठ रही है,
कुछ छूटा सा लगता है,
बेचैन कर देने वाली टीस,
हृदय को झकझोर रही है।
पता नहीं आज मन बहुत उदास है।।

बीते लम्हे पल -पल जीवंत हो,
नयन कपाटों के समक्ष नृत्य करते से,
अतीत में डूबे धुँधले प्रकाश बिम्ब ,हो मुखर,
आज फिर मन मचलाने को मजबूर ,
अंतस की पीड़ा फिर सूरत पे शिरकत देने आई हैं।
मनमौजी मन आज फिर से हताश है,
पता नहीं आज मन बहुत उदास है।।

वो स्वर्णिम यादें आज मृगतृष्णा बन रह गयी,
मन की लालसा फिर लहरों की भांति बह गई,
कुछ वर्षों पूर्व जो देखे थे स्वप्न सुनहरे सफर के,
आज वो सफर की कहानी ही कुछ ओर कह गयी,
समझ ही नहीं पा रहा हूं इस जीवन की पहली को,
जो नहीं चाहता था मैं वो उलझन फिर हो गयी,
आज ये अनचाहे जीवन से दिल फिर निराश है।
पता नहीं आज मन बहुत उदास है।।

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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