हम तो राह के राहगीर है
जो आते जाते मिल जाते है।
और बातों ही बातों में
अपनी कहानी सुना देते है।
तब कही मोहब्बत के
दीप जल जाते है।
तो किसी के जीवन में
अँधेरा छा जाता है।।
इसी तरह के मेरे
गीत कविता होते है।
जो पाठको के दिलो को
शायद छू जाते है।
तभी तो वो हमें
अपनी प्रतिक्रियां देते हैं।
जिससे मुझे लिखने में
और आंनद आता है।।
मिलता रहेगा यदि हमें
अपने पाठको का साथ।
तो हर दिलमें मोहब्बत की
लो को जला देंगें।
फिर स्वयं वो मोहब्बत का
ताजमहल दिलमें बना लेंगे।
और हम अपने पाठकों को
एक नया अंदाज बता देंगे।।
जय जिनेंद्र देव
संजय जैन “बीना” मुंबई