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(पर्यावरण दिवस विशेष )
मूर्खता को छोड़ दो,
काटकर तुम पेड़ को आनन्द उर में भर रहे।
किस कदर अन्याय खुद की जाति से तुम कर रहे॥
त्याग दो यह बुद्धिमत्ता प्यार कर लो पेड़ से,
वर्ना अपनी जिन्दगी को मौत से तुम जोड़ लो।
मूर्खता को छोड़ दो..॥
भू-स्खलन का डर बढे़गा अल्प होंगे पेड़ तो।
जिस तरह से खेत बंट पाते नहीं हो मेड़ तो॥
संतुलन पर्यावरण
बिगड़ने देना नहीं,
काटते जो पेड़ उनका आज भंडाफोड़ दो।
मूर्खता को छोड़ दो..॥
#कौशल कुमार पाण्डेय ‘आस’
परिचय : कौशल कुमार पाण्डेय ‘आस’ की शिक्षा एमकाम,एमएड सहित साहित्याचार्य भी है। आप पीलीभीत(उ.प्र.) के बीसलपुर में रहते हैं। विधा की बात करें तो,गीत, मुक्तक,छंद,गजल लिखते हैं। कई सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक,साहित्यक एवं धार्मिक संस्थाओं में दायित्व पर हैं। आपके रचित कालसेन चालीसा व सप्तक प्रकाशित हुए हैं तो,कुछ पुस्तकों का सम्पादन भी किया है। साथ ही कवि सम्मेलन व क्षेत्रीय गोष्ठियों में सहभागिता भी करते हैं। कई विद्यालयों व संस्थाओं से सम्मान पत्र मिले हैं।
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Tue Jun 6 , 2017
(विश्व पर्यावरण दिवस पर) प्रकृति के खेल को कौन समझ पाया है, आनन्द तो सभी लेते,रक्षा कौन कर पाता है। उत्तराखंड के प्रहर ने कितनों को रुलाया है, पहाड़,जंगल काटकर रास्ता सभी ने बनाया है। बंद करो प्रकृति की सुंदरता को मिटाना, मिलकर सभी को यही कसम है खाना। प्रकृति […]