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उसका ना हो पाया तो
अपना उसे बना लूँगा
बिना लिए सात फेरे
मोहब्बत निभा लूँगा
संभव नहीं होगा मिलन
मुश्किल होगा अगर दर्श
करके अपनी आँखें बंद
मैं कर लूँगा उसे स्पर्श
छिन जायेगी आवाज़ मेरी
खामोशियाँ उसे सुना दूँगा
मैं उसकी मोहब्बत में
खुद को भी भुला दूँगा
रुक जाएँगी जब साँसे
दुनिया मुझे जलाएगी
चिता से उठती आग भी
उसकी आकृति बनाएगी
आलोक कौशिक
(साहित्यकार एवं पत्रकार)
बेगूसराय(बिहार)
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