
अगर पैरो में हो चोट
साथ में हो छोटी सोच।
तो इंसान जिंदगी में
आगे नहीं बड़ सकेगा।
इसलिए दोनों का इलाज
इंसान के लिए जरूरी है।
जो डाक्टर के इलाज से और
खुदके आत्ममंथन से ठीक होगा।।
इंसान की पहिचान काम से होती है
इसलिए कर्म करना जरूरी है।
महंगे कपड़े तो दूकान के
पुतले भी पहनकर रखते है।
जो सिर्फ शो के लिए होते है।
इसलिए अपने जीवन को
शो की चीज न बनाये।
और अपने कार्यो से ही
स्वंय की पहचान बनाये।।
कमाया गया धन को
परिग्रह समझकर।
कुछ दान धर्म और
परोपकार में लगाओगें।
तो आपके परिणामों को
शांति मिल जायेगी।
स्वंय के स्वाध्याय से
आपको आत्मबोध होगा।
आत्मबोध से समाधि मिलेगी।
इसलिए नियमित स्वाध्याय
और आराधना करो।
तो मोक्षमार्ग को प्राप्त करोगे।।
जो कार्य तपस्या से भी
जिंदगी में नहीं हो सकता।
वह भावना से हो जाता है।
इसलिए भावों को निर्मल बनाये।
और अच्छी भावनाएं अपनी
आत्मा के अंदर भाये।।
यदि उपरोक्त सूत्रों को अपनी
जिंदगी का हिस्सा बनाओगे।
तो एक दिन निश्चित ही
मोक्ष गति को पाओगे।
और आपका आने वाला
भव भी सुधार जायेगा।
और आपका मानव जन्म
भी सफल हो जायेगा।।
हिंदी दिवस के उपलक्ष्य पर मेरी रचना आप सभी के लिए समर्पित है।
आप सभी को हिंदी दिवस की शुभ कामनाएं और बधाई साथ ही आपसे अनुरोध है की हिंदी का प्रयोग करे और देश का नाम रोशन करे।
जय जिनेंद्र देव
संजय जैन (मुंबई)