संस्कार भारती से सम्मानित हुए रुपेश

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बिहार के सिवान जिले के सिसवन प्रखंड के चैनपुर गाँव के मध्यवर्गीय परिवार में जन्मे व भौतिक विज्ञान के छात्र रूपेश कुमार, पुत्र- श्री भीष्म प्रसाद, को अखिल भारतीय साहित्यिक एवं कला संस्थान “संस्कार भारती, नोयडा” द्वारा शताब्दी साहित्य कुम्भ में चलने वाले दस दिवसीय सम्मेलन में श्रेष्ठ आने पर “पद्मश्री डॉक्टर विष्णु श्रीधर वाकणकर सम्मान” से सम्मानित किया गया ! इससे पहले रुपेश को “ब्रिटिश वर्ल्ड रिकॉर्ड – 2020” लंदन से जुलाई मे सम्मानित किया जा चुका है। साथ ही भारत की सबसे बड़ी ऑनलाइन प्रतियोगी संस्था “स्टोरी मिरर इंडिया, मुंबई” के द्वारा “लीटररी कैप्टन एवं कर्नल की उपाधियों से उन्हें सम्मानित किया जा चुका है ! इसके अतिरिक्त ‘ऑल इंडिया हिंदी उर्दू एकता ट्रस्ट(रजि) संस्था से “साहित्य साधक”, साहित्य संगम संस्था इंदौर से ‘अभ्युदय सम्मान, राष्ट्रीय सखी साहित्यिक संस्था, असम, आदर्श साहित्य समाज इंडिया भोपाल, कलम की सुगंध हरियाणा से वे सम्मानित किये जा चुके हैं ! भारत की राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था “राष्ट्रीय राजभाषा पीठ प्रयागराज” का पहला सम्मान’ भारती भूषण ‘ महान कहानीकार डॉक्टर संत कुमार टंडन “रसिक” जी के कर कमलों द्वारा 2011 मे रूपेश कुमार को प्रदत किया गया था। इसी से शुरु हुई इनकी साहित्यिक यात्रा अनवरत जारी रही। इन्हें विभिन्न विधाओं मे कई अवसरों पर देश के प्रतिष्ठित संस्थानों व साहित्यिक पत्रिकाओं द्वारा विभिन्न सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है! इनकी योग्यता, प्रतिभा, कार्यकुशलता व कर्तव्यनिष्ठा को देखते हुए 2018 मे अखिल भारतीय साहित्यिक संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह संस्थापक नवलपाल प्रभाकर “दिनकर” जी के द्वारा संस्था के राष्ट्रीय महासचिव के लिए नामित एवं सम्मान किया गया। यह संस्था आज साहित्य की दिशा मे निशुल्क निस्वार्थ भाव से कार्य करती हुई लगातार सफलता की ओर बढ़ रही है ! इनकी हाल ही मे प्रकाशित पुस्तक “मेरी कलम रो रही है” काफी चर्चा में है और ऑनलाइन / ऑफ़लाईन तेजी से बिक रही है! अब तक के इनके साहित्यिक सफर में इन्हें 200 से ज्यादा विभिन्न राष्ट्रीय,अंतराष्ट्रीय सम्मानों से नवाजा जा चुका है! विज्ञान के छात्र रूपेश कुमार के लिए साहित्य उनका शौक है तथा समाज के नवनिर्माण के लिए अत्यंत आवश्यक है।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।