
जैन धर्म की शान है,
विद्यासागर जी।
महावीर के अवतार है,
विद्यासागर जी।
भक्तो की भक्ति भी,
कोई काम नहीं।
हम सब तुम पर,
कुर्वान है विद्यासागर जी।
जैन धर्म की शान है,
विद्यासागर जी।
धरती पर भगवान है,
विद्यासागर जी।।
आपकी वाणी की,
बड़ी कल्याणकारी है गुरुवर।
आपका हर शब्द ही,
जिनवाणी है गुरुवर।
आप हो तप बाण,
ज्ञानी, आप योगेश्वर।
आपने कृपा दिखाई,
सदा अपने भक्तो पर।
गुरुवर गुरुवर गुरुवर,
——– गुरुवर गुरुवर।
हो गुरुवर मेरे हो गुरवर हो
मेरे गुरुवर ………..।
दया धर्म की खान है,
विद्यासागर जी।
धरती पर भगवान है,
विद्यासागर जी।।
जैन धर्म की शान है,
विद्यासागर जी।
एक मधुर सी मुस्कान,
चहेरे पर सजी रहती।
आपके मुख से तो,
गंगा ज्ञान की बहती।
आप तो हर तीर्थ से भी,
पावन हो गुरवर।
आपके चरणों में,
कोटि कोटि है नमन।
महासंत तपोवन है,
विद्यासागर जी।
धरती पर भगवान है,
विद्यासागर जी।।
जैन धर्म की शान है,
विद्यासागर जी।।
उपरोक्त भजन आचार्य श्री के चरणों समर्पण
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।