बढ़ते मोबाइल घटते हम

0 0
Read Time2 Minute, 32 Second
sachin
पुरानी फिल्मों में जैसे किसी व्यक्ति की जान किसी तोते में अटकी रहती थी, उसी प्रकार आज हम सबकी जान इस मोबाइल रूपी तोते में अटकी हुई है, आज बच्चे हो या युवा हो, बुजुर्ग हो या फिर महिला हो सभी बस मोबाइल पर बिजी हैं। हर चीज के अच्छे और बुरे दो पहलू होते हैं, उसी प्रकार मोबाइल के भी दो पहलू हैं, एक अच्छा और एक बुरा। वैसे तो मोबाइल हमारे घर का सदस्य बन गया है, लेकिन बाकी सदस्यों के साथ दूरी की वजह भी यही मोबाइल है, जरा याद कीजिए हमने अपने परिवार के साथ बैठकर आखिरी बार खाना कब खाया था,, याद नहीं आया, अच्छा चलो याद कीजिए हमने अपने किसी जानने वाले से घंटों मोबाइल पर कब बतियाया था, यह भी याद नहीं आया चलो छोड़ो अब यह याद कीजिए हम आखरी बार बारिश में कब भीगे थे यह भी याद नहीं आया देखा यह सब कभी हमारी दिनचर्या में शामिल था। लेकिन जब से यह मोबाइल हमारे जीवन में आया है, हम अपनों से और स्वयं से दूर होते जा रही हैं। बच्चे अब खो खो कबड्डी फुटबॉल या कुश्ती नहीं खेलते, वह केवल मोबाइल वाले गेम खेलते हैं, बच्चे रोते हैं घर वाले उनके हाथ में मोबाइल दे देते हैं, और फिर धीरे धीरे मोबाइल देखना बच्चे को बुरी लत के जैसा लग जाता है, फिर हम परेशान होते हैं कि अब हम अपने बच्चों से मोबाइल को कैसे दूर करें, एक अरसा बीत गया जब हम खुले आसमान के नीचे तारों को देखते देखते सो जाया करते थे, और आज मोबाइल पर व्हाट्सएप के जवाब देते देते हमें नींद आती है। युवा पीढ़ी बुजुर्गों के पास नहीं बैठती जिसकी वजह भी मोबाइल है, हम केवल मोबाइल पर व्यस्त रहते हैं किसी ने सच ही कहा है,,
 “” कुछ देर बैठा करो बुजुर्गों के पास
सब कुछ नहीं होता गूगल के पास””
सचिन राणा हीरो
हरिद्वार(उत्तराखंड) 

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

धन

Fri Jul 5 , 2019
धन के पीछे भाग रहे जो धर्म ईमान तक बेच रहे जो रिश्ते नाते कुछ भी नही धन के आगे कदर नही धन की भूख जब लगती है धन ही धन बस दिखती है अपने पराये नजर नही आते जो धन दे , सिर्फ वही भाते जिसने गलत धन कमाया […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।