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देखीके समय पर आवत बा रोआई ,
ए भाई बबुआ बनल बा कसाई ,
नौ महीना गरभ में रखनी , सहनी केतना दु:खवा हो ,
आस लगवनी मन मे आपन , पाइब एक दिन सुखवा हो ,
समय कईसन दिहलस भरमाई ,
ए माई बबुआ बनल बा कसाई ,
देखिके ……….
पहले बबुआ कहे की माई तोहरे में चारो धमवा हो ,
दिन रात बबुआ करेला अब के गुणगणवा हो ,
बबुआ ओकरे पर गइले लोभाई ,
ए भाई बबुआ बनल बा कसाई ,
देखिके ……….
सोचनी की जब हम बुढिया होखब बबुआ दिहे सहारा हो ,
मेहरी के आगे चलत नईखे इनकर कवनो चारा हो ,
कुछूओ कहला पर बोलेले झुझुआई ,
ऐ भाई बबुआ बनल ब कसाई !
देखिके ………….
सारा भरम तु तोड़ ए भईया , झूठ न कर गुमनवा हो ,
बेटी बेटा काम न अइहे , काम आई अच्छा करमवा हो ,
प्रभु मे हरदम राख नेहिया लगाई ,
ए भाई भव सागर तर जाई ,
देखिके समय पर आवत ब रोआई ,
ऐ भाई बबुआ बनल बा कसाई !
देखिके ……………
रूपेश कुमार
छात्र एव युवा साहित्यकार
जन्म – 10/05/1991
शिक्षा – स्नाकोतर भौतिकी , इसाई धर्म(डीपलोमा) , ए.डी.सी.ए (कम्युटर)
बी.एड (अध्ययनरत)
( महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यूनिवर्सिटी बरेली यूपी)
वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी !
विभिन्न राष्ट्रिय पत्र पत्रिकाओ मे कविता,कहानी,गजल प्रकाशित !
कुछ सहित्यिक संस्थान से सम्मान प्राप्त !
चैनपुर,सीवान बिहार – 841203
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