हां,मैं एक एक मुखौटा हूँ..

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devendr joshi

संसार अगर एक रंगमंच है,
तो हां, मैं उसका एक पात्र..
मुखौटा,चरित्र,किरदार,अभिनय
और भूमिका हूँ।

बचपन,जवानी,वृद्धावस्था,
के पड़ावों से गुजरती जिन्दगी..
के बीच मैं कब पुत्र से पिता,
दादा,नाना,मामा और चाचा..
बन जाता हूँ, कुछ पता ही
नहीं चलता।

पात्रों की जरूरत के हिसाब से,
भूमिकाओं को निभाते-निभाते..
मैं अपने होने का अर्थ ही
भूलने लगा हूँ,क्योंकि मुझे,
हर भूमिका में अपना
सौ प्रतिशत देना होता है।

किसी भी एक भूमिका में,
कमजोर पड़ने का सीधा
मतलब रिश्तों में खटास..
या संबंधों में दरार का
पर्याय ही होता है।

इसलिए मेरी हर भूमिका,
मुझसे पूर्ण निष्ठा,समर्पण..
वफादारी और श्रम साधना
की मांग करती है।

चूँकि,मैं आपसी संबंधों का,
एक तागा भी कमजोर..
पड़ने देना नहीं चाहता,
इसलिए संसार रूपी..
रंगमंच की हर भूमिका
में डूबता चला जाता हूँ ।

मुझे पता ही नहीं चलता,
कि मेरे अन्दर का चपल..
चंचल,नटखट,वाचाल,
बालक,जिन्दगी में मिलने
वाली नित नई भूमिकाओं
को निभाते-निभाते कब
धीर-गंभीर, मितभाषी युवा
अधेड़ और वृद्ध बन जाता है।

अभिनय के रंगमंच,
का ग्लैमर भले ही..
जिन्दगी के रंगमंच,
से बड़ा हो,लेकिन जो
असली रोमांच और
चुनौतियाँ यहाँ हैं वो,
माया नगरी के
मायाजाल में कहाँ?

अफसोस है तो सिर्फ,
इतना कि जिन्दगी का..
रंगमंच एक किरदार,
को एक ही बार निभाने
की अनुमति देता है।

चाहकर भी मैं वृद्ध,
से युवा और अधेड़ से..
बच्चा नहीं बन पाता हूँ,
कोशिश भी करता हूँ तो,
इस अभिनय में असफल
रह जाता हूँ।

जिन्दगी के इस लाईव,
टेलीकास्ट में मैं न सज
पाता हूँ,न संवर पाता हूँ,
बस जैसा हूँ वैसा ही बन
कर रह जाता हूँ।

क्योंकि,
‘रील लाईफ’ की तरह..
मेरी ‘रीयल लाईफ’ मुझे,
री-टेक का मौका नहीं देती।

                                                                      #डॉ. देवेन्द्र  जोशी

परिचय : डाॅ.देवेन्द्र जोशी गत 38 वर्षों से हिन्दी पत्रकार के साथ ही कविता, लेख,व्यंग्य और रिपोर्ताज आदि लिखने में सक्रिय हैं। कुछ पुस्तकें भी प्रकाशित हुई है। लोकप्रिय हिन्दी लेखन इनका प्रिय शौक है। आप उज्जैन(मध्यप्रदेश ) में रहते हैं।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।